गया न्यूज़: जलवायु परिवर्तन का असर से हर वर्ग के लोग प्रभावित हैं. मौसम के मिजाज बदलने के साथ ही सेहत पर असर है. गया जिले में बारिश कम हो रही है. कम वर्षा से सबसे ज्यादा खेतीबारी पर असर है. गया में पिछले साल बारिश का सीजन गुरजने के बाद गया ही मगध प्रमंडल भर में औसत से कम बारिश हुई. 2022 के मानसून सीजन में गया के साथ अन्य चार जिलों में सामान्य से करीब 40 फीसदी भी वर्षा नहीं हुई है. गया में सामान्य से 37 फीसदी कम बारिश हुई है. कम बारिश होने की स्थिति में गया में सूखे की स्थिति हो गयी. कोरोना काल में दूसरे प्रदेशों से घर लौटे लोगों के समक्ष काम की समस्या उत्पन्न हो गयी. खेती प्रभावित. जिले में उद्योग-धंधे नहीं. ऐसे में दूसरे राज्यों में पलायन की अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं रहा. 24 प्रखंड वाले गया जिले के हरेक क्षेत्र से सूखे की मार से लोगों का पलायन हुआ. सबसे ज्यादा काम की तलाश में लोग दिल्ली गए. फैक्ट्री के अलावा ईंट भह्वों पर काम करने के लिए गया से मजदूर बाहर निकले. हालांकि कुछ लोग कोरोना काल में हुई भारी फजीहत के बाद खराब स्थिति के बाद भी दूसरे राज्यों में नहीं गए.
मौसम वैज्ञानिक एसके पटेल ने बताया कि पिछले साल जलवायु परिवर्तन के असर से भी मानसून के सीजन में बारिश के लिए अनकूल स्थिति का अभाव रहा. 2022 के मानसून के शुरुआत तीन माह में बारिश कम हुई. नतीजा खेती प्रभावित रहा. बताया कि पहले दिन-रात बारिश होती थी. अब एक घंटा में जबर्दस्त हो जाती है. इससे जमीन में नमी नहीं आती है. लंबे समय तक धीरे-धीरे बारिश होना खेती के लिए लाभदायक होता था. लेकिन, अब ऐसा नहीं है.