नालंदा सलाह फसल सुरक्षा योजना में पहली बार आम व अमरूद के प्लान भी शामिल हुए
योजना में पहली बार आम व अमरूद के प्लान भी शामिल हुए
बिहार बागवानों के लिए राहत देने वाली खबर है. फसल सुरक्षा योजना में उद्यानिकी, दलहन, तेलहन के साथ ही इस बार से आम और अमरूद के बाग को भी शामिल किया गया है. फसलों और आम-अमरूद के पौधों को कीट-व्याधियों से बचाव के लिए 75 फीसदी अनुदान सरकार देगी. हालांकि, इस बार आवेदन की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया गया. पिछले साल तक ऑफ लाइन आवेदन लिया जाता था. इसबार कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. योजना के तहत आम और आमरूद के पौधों के कीट प्रबंधन के लिए दो बार दवा छिड़काव पर सब्सिडी मिलेगी. आम के पौधों पर पहला छिड़काव टिकोले के सरसों दाना के आकार के होने पर किया जाएगा. प्रति पौधा 76 रुपए खर्च आएगा. इसपर 57 रुपया अनुदान मिलेगा. जबकि, दूसरा छिड़काव मटर के आकार की अवस्था में होगा. एक पौधे पर खर्च आएगा 96 रुपए. अनुदान मिलेगा 72 रुपया. वहीं, अमरूद के पौधों पर पहला छिड़काव कीटों के प्रबंधन के लिए किया जाएगा. प्रति पौधा लागत 44 रुपया तो अनुदान 33 रुपए मिलेगा. दूसरा छिड़काव व्याधियों के प्रबंधन के लिए किया जाएगा. 60 रुपए खर्च होगा तो 45 रुपए सब्सिडी मिलेगी. आम के एक बागवान को अधिकतम 84 पौधों के लिए तो अमरूद के बगीचा लगाने वाले को अधिकतम 28 पौधों के लिए अनुदान का प्रावधान है.
कीटों से फसलों को बचाएगा फेरोमोन ट्रैप दलहन,तेलहन व सब्जी की फसलों को कीट- व्याधियों से बचाव फेरोमोन ट्रैप (कीटो को पकड़ने वाला यंत्र), लाइफ टाइम ट्रैप और स्टिकी ट्रैप 75 फीसदी अनुदान पर मिलेगा. रोगों से बचाव के लिए कीटनाशी, फफूंदनाशी व जैव कीटनाशी भी 50 फीसद अनुदान पर किसान ले सकते हैं. प्रति एकड़ पांच सेट फेरोमैन ट्रैप दिया जाएगा. 450 रुपए अनुदान का प्रावधान किया गया है. प्रति एकड़ 12 स्टिकी ट्रैप के लिए 315 रुपए तो पांच एक एकड़ के लिए सेट लाइफ टाइम ट्रैप पर 750 रुपए सब्सिडी मिलेगी.
जबकि, कीटनाशी, फफूंदनाशी और जैव कीटनाशी पर प्रति एकड़ दो सौ के हिसाब से अधिकतम एक हजार का कीटनाशी अनुदान पर मिलेगा.
प्रति पौधा दवा का छिड़काव और अनुदान
छिड़काव लागत अनुदान
आम (पहली बार) 76रु 57रु
आम (दूसरी बार) 96रु 72रु
अमरूद(पहली बार) 44रु 33रु
अमरूद(दूसरी बार) 60रु 45रु
अन्य फसलों के साथ ही इस बार से आम और अमरूद के बाग को भी फसल सुरक्षा योजना में शामिल किया गया है. कीट-व्याधियों के प्रबंधन के लिए 75 फीसद अनुदान का प्रावधान किया गया है. जल्द ही ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी. किसान योजना का जरूर लाभ उठाएं.
-संतोष कुमार सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण
हर साल 30 हजार टन आम का उत्पादन
जिले में करीब दो हजार 967 हेक्टेयर में आम के बाग लगे हैं. हर साल करीब 30 हजार 810 टन आम का उत्पादन होता है. हरनौत, अस्थावां, सिंग्थू, पावा, हिलसा के बारा, करायपरसुराय में बड़े-बड़े आम के बाग लगे हैं. जबकि, चंडी प्रखंड के मोकिमपुर और मत्तेपुर की पहचान ‘अमरूद गांव’ के रूप में है. दोनों गांवों में 15 एकड़ में अमरूद की खेती होती है. 35 किसानों का समूह बना हुआ है. एक पेड़ से साल में तीन से चार बार फसल लेते हैं. प्रति एकड़ सालाना कमाई दो लाख हो जाती है. इसके अलावा पास के चैनपुर, द्वारिका बिगहा व अन्य गांवों में अमरूद के बाग हैं.