नालंदा के 12 गांवों के किसान नहीं करते प्याज की खेती

Update: 2023-03-14 11:38 GMT

नालंदा न्यूज़: भगवान महावीर की निर्वाण स्थली पावापुरी से करीब एक किलोमीटर दूर एनएच 20 के किनारे बसी है गिरियक प्रखंड की रैतर पंचायत. इसके दायरे में 15 गांव व टोले आते हैं. इनमें से 12 गांव अपने पुरखों की परंपरा को कई पीढ़ियों से निभा रहे हैं. इन गांवों के लोग प्याज खाते तो हैं, लेकिन खेती नहीं करते हैं. हालांकि, बीते वर्षों में एकाध बार कुछ किसान खेती की शुरुआत करने की कोशिश भी की थी. लेकिन, अनहोनी होने के कारण दोबारा से किसी ने हिम्मत नहीं जुटायी.

खास यह कि ये वैसे गांव हैं जो रैतर महाल (राजस्व गांव) में शामिल है. वहीं, तरोखर महाल में आने वाली पंचायत के ही तरोखर, गुलजार बिगहा और महमदपुर के किसान प्याज की खेती करते हैं. गिरियक के उपप्रमुख रामानंद सागर, रैतर के छोटेलाल प्रसाद, दिनेश प्रसाद, शिव प्रसाद कुशवाहा,

राजेन्द्र प्रसाद व अन्य बताते हैं कि एक दर्जन गांवों में कब से प्याज की खेती न करने की परंपरा चली आ रही है, यह पक्के तौर पर नहीं बता सकते. लेकिन, हमारे दादा व परदादा के जमाने में भी खेती नहीं होती थी. बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि पहले यहां जमींदारी प्रथा थी. उससे भी पहले से यह परंपरा चली आ रही है. इतना ही नहीं, इन गांवों की बेटियां शादी के बाद ससुराल में भी खुद से प्याज की खेती नहीं करती हैं.

चाहते हैं पर नहीं जुटा पाते हिम्मत रैतर के किसानों का कहना है कि बदलते समय के साथ नई पीढ़ियां परंपरा से हटकर प्याज की खेती की शुरुआत करना चाहती है. इसके लिए एक नहीं कई बार सामूहिक रूप से प्रयास भी किया गया. लेकिन, चली आ रही परंपरा के टूटने और अनहोनी के डर से कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. आज भी 12 गांवों के लोग प्याज के लिए पूरी तरह से बाजार पर आश्रित हैं.

कैसे हुई शुरुआत मान्यता है कि बहुत पहले रैतर में सिद्ध पुरुष बनौत बाबा रहते थे. वे गांव के दक्षिण छोर पर कुटिया बनाकर ईश्वर भक्ति में लीन रहते थे और प्याज का सेवन नहीं करते थे. उन्हीं से प्रेरित होकर किसानों ने प्याज की खेती छोड़ दी. कलांतर में उनका स्वर्गवास होने पर लोगों ने उसी स्थान पर उनकी समाधि बनायी और पूजा-अर्चना करने लगे. आज भी बनौत बाबा के दरबार में हर दिन भक्तों की भीड़ जुटती है.

इन गांवों में नहीं होती प्याज की खेती रैतर, धरमपुर, भोजपुर, बेलदरिया, तारापुर, ठाकुरबिगहा, विशुनपुर, कालीबिगहा, दुर्गानगर, बंगाली बिगहा, शंकरपुर व जीवलाल बिगहा .

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