कछुआ गांव में किसानों ने प्राकृतिक खेती करने का लिया संकल्प

दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रमाणपत्र वितरण के साथ संपन्न हुआ

Update: 2024-04-06 07:47 GMT

दरभंगा: स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से कछुआ गांव में प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए किसानों को वैज्ञानिक विधि से प्राकृतिक खेती के गुर सिखाने के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रमाणपत्र वितरण के साथ संपन्न हुआ. इसमें कुल 40 प्रतिभागियों ने भाग लिया.

प्रशिक्षण में किसानों को खतरनाक रसायन के इस्तेमाल से मनुष्य के शरीर एवं मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर होने वाले दुष्प्रभाव को भी विस्तार से बताया गया. वैज्ञानिकों ने प्रयोगात्मक विधि से विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक स्रोतों का फलों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को भी बताया. किसानों ने देसी गाय के गोबर और गोमूत्र में पाए जाने वाले पोषक तत्वों का केले की फसल में बंच फीडिंग (घैर पोषकता) में सही से उपयोग एवं अन्य फसलों में भी प्राकृतिक खेती के तत्व जैसे जीवामृत एवं बीजामृत के प्रयोग के लाभों को बताया.

प्रशिक्षण के दौरान उद्यान वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार विश्वकर्मा ने प्राकृतिक खेती में उपयोग आने वाले विभिन्न प्रकार के मूलभूत तत्व जैसे ब्रह्मास्त्रत्त्, नीमास्त्रत्त्, जीवामृत, बीजामृत, फफूंद नाशक दवा आदि बनाने की विधि का प्रयोगात्मक तरीके से बताया और इसको प्रयोग करना भी सिखाया. प्राकृतिक खेती में किसानों को प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों का अध्ययन कराया गया. केंद्र में कार्यरत शस्य विज्ञान विषय के वरीय शोधार्थी लोकेंद्र ने प्रयोगात्मक तरीके से सभी तत्वों जैसे बीजामृत, जीवामृत आदि बनाने का तरीका भी सिखाया. समापन सत्र के दौरान प्रशिक्षित किसानों ने प्राकृतिक खेती करने का आश्वासन कृषि वैज्ञानिकों दिया.

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