साढ़े चार सौ देने के बाद भी नहीं मिल रहे रोपनी को श्रमिक

Update: 2023-07-07 11:19 GMT

गोपालगंज न्यूज़: जिले में बारिश के बाद मजदूरों की कमी से धान की रोपनी प्रभावित हो रही है. खेतों में पानी लगने व बिचड़ा तैयार होने के बावजूद मजदूरों की कमी से रोपनी नहीं हो पा रही है. खेत तैयार करने के बाद रोपनी के लिए किसान मजदूरों के लिए भागदौड़ कर रहे हैं. लेकिन, गांवों में मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं. नतीजतन खेत तैयार होने के बाद भी किसान रोपनी नहीं कर पा रहे हैं. मजदूर नहीं मिलने से खेतों में लगा बारिश का पानी सूख रहा है. महिला मजदूरों के सहारे धान की रोपनी कुछ किसान कर रहे हैं. पिछले वर्ष तीन सौ रुपए प्रतिदिन की दर से धान की रोपनी के लिए मजदूर मिल जाते थे. लेकिन इस बार साढ़े तीन सौ रुपए प्रतिदिन की दर से एक दिन की मजदूरी देनी पड़ रही है. इसके बाद भी जरूरत पर मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं. इस संबंध में बीएओ बैकुंठपुर मिथिलेश प्रसाद ने बताया कि चार दिनों के अंदर 70 एमएम बारिश होने के बाद किसान रोपनी में जुट गए हैं. मजदूरों की कमी से किसानों को परेशानी हो रही है.

मजदूरों के पलायन से हो रही परेशानी मजदूरों के लगातार पलायन से गांव में मजदूरी की समस्या उत्पन्न हो रही है. चार सौ रुपए प्रतिदिन की दर से बारह हजार रुपए महीने में घर रहकर कमाना मजदूरों को रास नहीं आ रहा है. दूसरे प्रदेश में जाकर मिल-फैक्ट्री में ठेकेदारी के तौर पर दो से ढाई सौ रुपए प्रतिदिन की दर पर काम कर रहे हैं. जिले के कई इलाकों से मध्य प्रदेश, झारखंड, बंगाल, असम, नई दिल्ली, हरियाणा आदि राज्यों की ओर मजदूरों का पलायन हो रहा है.

परेशान किसानों ने सुनाई अपनी पीड़ा जिलेभर में मजदूरों की किल्लत से किसान चिंतित नजर आ रहे हैं. गम्हारी गांव के किसान पाद प्रसाद ने बताया कि चार सौ रुपए मजदूरी देने के बाद भी आठ घंटे काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं. महिला मजदूरों के भरोसे रोपनी कराई जा रही है.

रोपनी के लिए मांग रहे दो सौ रुपए कट्ठा पंचदेवरी. दो दिनों से हो रही वर्षा से किसानों के चेहरे खिल गए हैं. किसानों की मानें तो वर्तमान समय में धान की रोपनी करने के लिए मजदूर 150 से 200 रूप्ये प्रति कठ्ठा की दर से मजदूरी मांग रहे है. इसके बाद बिचड़ा व खेत को तैयार करने में किसानों की काफी लागत लग रही है.

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