गोपालगंज न्यूज़: सदर अस्पताल में मेडिकल कचरा संग्रह केन्द्र में ताला लगा है और इसके बगल में खुले में कचरा फेंका जा रहा है. जिससे संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका है. राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर सभी तरह के मेडिकल कचरे को संग्रह कर रखने के लिए इस केन्द्र का निर्माण विगत वर्ष दिसंबर में कराया गया था. लेकिन अब तक इसमें कचरा संग्रह नहीं किया जा रहा है. अस्पताल के डॉक्टरों का भी कहना है कि मेडिकल वेस्ट पर्यावरण व मानव स्वास्थ्यक के लिए घातक है. मुजफ्फरपुर से वायोवेस्ट वाहन सप्ताह में एक दिन आता है. वाहन से अस्पताल में फेंके गए कचरे को निस्तारण के लिए ले जाया जाता है. अस्पताल के आसपास में फेंके गए कचरे को नगर परिषद के कर्मी संग्रह कर ले जाते हैं. जिसे सड़क के किनारे जला दिया जाता है. अस्पताल के डॉक्टर बताते हैं कि मेडिकल वेस्ट कचरे को जलाने से स्टाइरिन व कार्बन डाइऑक्साइड,क्लोरोफ्लोरो कार्बन, क्लोरीन, नाइट्रिक ऑक्साइड आदि खतरनाक गैसें निकलती हैं,जो हवा में मिल कर पर्यावरण को काफी दूषित करती हैं. हवा एवं पर्यावरण में इस धुएं मिलने के कारण अस्थमा, फेफड़े में इंफेक्शन, कैंसर, हेपेटाइटिस, टाइफाइड,पेट संबंधित संक्रमण,टेटनेस सहित कई तरह की बीमारियां होने की आशंका रहती हैं.
कचरा संग्रह केन्द्र में रखे गए हैं चार कूड़ेदान कचरा संग्रह केन्द्र में चार तरह के कूड़ेदान रखे गए हैं. पीला कूड़ादान में शारीरिक,रासायनिक, गंदा कपड़ा, दवाइयों संबंधित एवं प्रयोगशाला का कचरा,मानव व पशु शारीरिक कचरा,दवाइयों से संबंधित,तरल एवं सूक्ष्मजीवी कचरे को रखने का नियम है. इसी तरह लाल कूड़ादान -दूषित प्लास्टिक कचरा,डिस्पोजेबल वस्तुएं जैसे ट्यूबिंग,प्लास्टिक की बोतलें,शिरभ्यंतर और कैथेटर, प्रवेशनी, सुइयों के बिना सीरिंज आदि रखना है. नीला कूड़ादान में कांच से बनी टूटी-फूटी व खाली शीशियां अथवा बोतलें, स्लाइड कांच की पेट्री डिश आदि रखने का निर्देश है. जबकि ग्रे कूड़ादान में धारदार धातु वाला कचरा सुई एवं ब्लेड कैंची रखने का नियम है. ताकि इन कचरों को सुरक्षित तरीके से वाहन से मुजफ्फरपुर ले जाकर निस्तारण किया जा सके. लेकिन,कचरा संग्रह केन्द्र के बंद रहने से इन खतरनाक कचरों को खुले में रखा जा रहा है.