बाढ़ और सुखाड़ से कम हो रहे रोजगार, पलायन को हैं मजबूर

Update: 2023-05-05 11:17 GMT

रोहतास न्यूज़: जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली असमय बारिश या बारिश के मौसम में सुखाड़ के कारण जिले से मजदूर पलायन पर मजबूर हैं. जिले के हजारों मजदूर काम की तलाश में पहले ही अन्य शहरों में पलायन कर गए हैं. इसके अलावे प्रत्येक साल मजदूरों का पलायन जारी है.

मजदूर अपने घर-परिवार वालों के लिए दो जून की रोटी तलाश करने के लिए जिले से पलायन कर रहे हैं. अपने क्षेत्र में काम नहीं मिलना पलायन का मुख्य कारण बताया जा रहा है. जिले में जलवायु परिवर्तन से असमय होने वाली बारिश व ओलावृष्टि के कारण फसलें बर्बाद हो रही हैं. जिस कारण किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है. फसल बर्बाद होने के कारण मजदूरों को भी काम नहीं मिलता है. मजबूरन मजदूर जिले से बाहर रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं. जिले के नौहट्टा, रोहतास, चेनारी व शिवसागर(कुछ भाग) प्रखंडों में प्रत्येक वर्ष सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न होती है. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण किसान सिंचाई के लिए वर्षा के जल पर ही निर्भर रहते हैं. क्योंकि इन क्षेत्रों में नहर की व्यवस्था नहीं है. वहीं पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण बोरिंग के माध्यम से भी सिंचाई की व्यवस्था करना काफी मुश्किल होता है. सिंचाई नहीं होने व जलवायु परिवर्तन के कारण जरूरत के समय पानी नहीं होने पर धान की खेती पर असर पड़ता है. खेतों में लगाए गए धान के पौधे सूख जाते हैं. जिस कारण सुखाड़ की स्थिति हो जाती है. सुखाड़ की वजह से एक तो किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है, तो दूसरी ओर मजदूरों को भी काम नहीं मिलता है. काम नहीं मिलने पर मजदूर पलायन करने पर मजबूर हो रहे हैं.

लगभग 60 हजार मजदूर अन्य राज्यों में करते हैं मजदूरी जिले के कितने मजदूर मजदूरी करने के लिए अन्य शहरों में पलायान किए हैं. इसका सरकारी स्तर पर कोई आंकड़ा नहीं है. आपदा विभाग से मिले आंकड़े के अनुसार कोरोना काल में जिले में अन्य शहरों में मजदूरी करने वाले 57 हजार 999 मजदूर वापस लौटे थे. घर लौटे मजदूर ने यह सपना देखा था कि उन्हें अब अपने प्रदेश में ही रोजगार मिलेगा. लेकिन, घर लौटे सभी मजदूर फिर से अपने घर-परिवार वालों की पेट की आग बुझाने के लिए पुन पलायन किए हैं.

पिछले साल भी मजदूरों का हुआ था पलायन पिछले साल नौहट्टा व रोहतास प्रखंड में बारिश नहीं होने के कारण धान की फसलें बर्बाद हुई थी. किसानों द्वारा लगाए गए धान की लगभग 80 प्रतिशत फसलें बर्बाद हुई थी. फसल बर्बाद होने के कारण मजदूरों को काम नहीं मिल पाया था. काम नहीं मिलने पर रोहतास व नौहट्टा प्रखंड के हजारों मजदूर का पलायन अन्य प्रदेशों में हुआ था.

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