पिछले एक दशक में बिहार में 5.5 फीसदी बढ़ी बिजली की उपलब्धता
बिजली की उपलब्धता
पटना: बिहार में पिछले एक दशक में बिजली की उपलब्धता में 5.5 फीसदी की वृद्धि हुई. वर्ष 2011- में बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली खपत मात्र 4 यूनिट (प्रति किलोवाट आवर) थी. 2021-22 में यह बढ़कर 329 यूनिट हो गई. 2017-18 में राज्य में 330.7 करोड़ यूनिट की कमी थी जो 2022-23 में 403.4 करोड़ यूनिट सरप्लस हो गई. इसरो से ली गई तस्वीर के अनुसार बिहार में रात्रिकालीन प्रकाश में 474 फीसदी की वृद्धि हुई है जो देश में सर्वाधिक है. रात्रिकालीन प्रकाश बढ़ने का राष्ट्रीय औसत मात्र 43 फीसदी है.
विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 31 जिलों में एक करोड़ 90 लाख बिजली उपभोक्ता हो चुके हैं. इस कारण बिजली की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है. चालू वित्तीय वर्ष 2023-34 में 7576 मेगावाट बिजली आपूर्ति हो चुकी है. उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवा देने के साथ ही कंपनी अपना नुकसान भी कम कर रही है. 20- में कंपनी का नुकसान 56.63 फीसदी था जो 2022-23 में घटकर 24.32 फीसदी पर आ पहुंचा है.
उपभोक्ता बढ़ने के साथ ही कंपनी के राजस्व में भी वृद्धि हो रही है. कंपनी बनने के बाद पहली बार 215 करोड़ का मुनाफा हुआ है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य में बिजली की अनुमानित मांग 7495 मेगावाट थी. 2024-25 में 18.9 फीसदी बढ़कर 8908 मेगावाट हो जाएगी. वित्तीय वर्ष 2025-26 में यह बढ़कर 9743 मेगावाट हो जाएगी.
बिहार के शहरी क्षेत्रों में 23-24 घंटे तो ग्रामीण क्षेत्रों में 21-22 घंटे आपूर्ति हो रही है. वर्ष 2018-19 में राज्य में 2680 करोड़ यूनिट कुल खपत हुई थी जो 2022-23 में 36 सौ करोड़ यूनिट हो गई. यानी चार वर्षों में 34.3 फीसदी की वृद्धि हुई. पटना में सबसे अधिक 602.1 करोड़ यूनिट खपत हो रही है. दूसरे पायदान पर गया में 225 करोड़ यूनिट और तीसरे पायदान पर मुजफ्फरपुर में 159 करोड़ बिजली यूनिट खपत हो रही है. पीछे वाले तीन जिलों में शिवहर में .2 करोड़ यूनिट, अरवल में 23.4 करोड़ यूनिट और शेखपुरा में 29.8 करोड़ यूनिट खपत हो रही है.
शेखपुरा, कैमूर और नवादा में बिजली खपत में सबसे तेज वृद्धि हुई है.