हाराष्ट्र की सियासत में आए भूचाल से बिहार की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है. विपक्ष की ओर से बयानों के तीर दागे जा रहे हैं तो सत्ता पक्ष भी पलटवार का ढाल लेकर सियासी रण में कूद पड़ा है. इस सब की शुरूआत हुई प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील के उस बयान से जहां उन्होंने ये दावा किया कि विपक्षी एकता के बैठक के कारण NCP में हुए विद्रोह जैसे हालात बिहार में भी हो सकते हैं. सुशील मोदी के साथ दूसरे बीजेपी नेताओं ने भी सुर में सुर मिलाया और दावा कर दिया कि जल्द ही JDU में भी दो फाड़ होने वाले हैं.
'JDU में विद्रोह की स्थिति'
सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में भी बगावत की स्थिति बन रही है. क्योंकि नीतीश कुमार ने पिछले 17 सालों में कभी भी विधायकों और सांसदों को मिलने का समय नहीं दिया. लोगों को साल भर इंतजार करना पड़ता था. अब वो प्रत्येक विधायक और सांसद को 30 मिनट दे रहे हैं. जब से नीतीश कुमार ने राहुल गांधी को अगली लड़ाई के लिए नेता स्वीकार कर लिया और तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी बना दिया तभी से JDU में विद्रोह की स्थिति है.
वार-पलटवार जारी
बीजेपी के इस बयान से प्रदेश में सियासी तूफान खड़ा हो गया और फिर वार-पलटवार का दौर शुरू हुआ हो गया. बीजेपी के दावों पर JDU, RJD और कांग्रेस एक साथ पलटवार कर रही है. जदयू एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि जो लोग आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं वह खुद आजादी की काला कथा लिख रहे हैं. पहले शिवसेना को तोड़ा और अब एनसीपी को और ऐसा लोगों को शामिल कराया जिन लोगों के ऊपर CBI और ED की कार्रवाही हो रही थी.
जोड़-तोड़ की राजनीति
NCP की टूट ने सिर्फ महाराष्ट्र या बिहार ही नहीं बल्कि कई राज्यों में जहां क्षेत्रीय दल हैं वहां हलचल बढ़ा दी है. हलचल इसलिए क्योंकि पटना में हुए विपक्षी बैठक में राहुल गांधी को प्रमोट करने की कोशिश की गई. ये जानते हुए कि क्षेत्रीय दल किसी कीमत पर कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार नहीं करेंगे. ऐसे में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक से पहले NCP की ये टूट दूसरी पार्टियों के लिए कहीं ना कहीं खतरे की घंटी की तरह है. JDU में तो दो फाड़ की भविष्यवाणी बैठक से भी पहले से हो रही है. ऐसे में अब इन अटकलों की महाराष्ट्र की तस्वीरों ने और हवा दे दी है. हालांकि जोड़-तोड़ की राजनीति बिहार को कितना प्रभावित करती है ये तो भविष्य के गर्भ में है.