सड़क नहीं होने की वजह से रेल पटरी किनारे हो पढ़ने जाते बच्चे

नगर प्रशासन मूकदर्शक

Update: 2023-10-10 04:24 GMT

कटिहार: रास्ते के अभाव में प्राथमिक विद्यालय बहादुरबाड़ी शमशेरगंज के छोटे-छोटे बच्चे रेल पटरी होकर पढ़ाई करने पहुंचते हैं. विद्यालय पहुंचने के लिए अपना सड़क तक नहीं है. सौ मीटर रास्ते में महीनों से कीचड़ फ ैले रहने के बाद भी न पार्षद न ही निगम प्रशासन का इस ओर ध्यान जा रहा है.

जिसका नतीजा है कि वार्ड नम्बर दो शमशेरगंज के इस विद्यालय में 350 से अधिक बच्चे पढ़ने के लिए अपनी जान हथेली पर रखकर प्रति दिन रेलवे लाइन के पटरी होकर जाने को विवश हैं. जबकि इस पटरी होकर पूर्णिया जाने के लिए हर दो घंटे में ट्रेन गुजरती है. इसको लेकर भी बच्चों के अभिभावकों के बीच हमेशा अनहोनी की आशंका बनी रहती है. शमशेरगंज का प्राथमिक विद्यालय बहादुरबाड़ी 1960 से संचालित हो रहा है. ऐसा वार्ड के लोगों का कहना है. वार्ड नम्बर दो शमशेरगंज के कई लोगों का कहना है कि मोहल्ले की आबादी करीब ग्यारह सौ है. यह वार्ड हमेशा से उपेक्षित रहा है. नन्हें-नन्हें बच्चों की प्राथमिक शिक्षा दीक्षा के लिए एकमात्र उक्त विद्यालय हैं. यहां पर सभी टोला सेवक बच्चों को लाकर यहां पढ़ाते हैं. सड़क पर कीचड़ व जलजमाव के कारण बच्चों को मिलनेवाली एमडीएम का भोजन भी दूसरे के आंगन होकर ले जाया जाता है. जिससे कई बार लोगों ने विरोध किया है. बावजूद पार्षद व निगम प्रशासन मूकदर्शक बने हैं.

कई माह से घुटना भर रास्ते पर होता जलजमाव

पिछले कई माह से उक्त रास्ते पर ठेहुना भर पानी व कीचड़ रहने से दूसरे टोला जाने में आमलोगों को परेशानी हो रही है. लोगों की माने तो पार्षद को बार-बार गुहार लगाने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाये जाने से हमेशा अनहोनी की आशंका बनी रहती है. वार्ड नम्बर दो के पार्षद मुर्सरत जहां का कहना है कि विद्यालय को अपना रास्ता नहीं है. रेलवे की जमीन होकर विद्यालय पहुंचते हैं.

निगम की सामान्य बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे को पार्षद द्वारा उठाया गया है. दो चार टेलर राशिव गिराया जा सकता है. सौ दो सौ मीटर की दूरी वाले रास्ते पर एक सौ से डेढ़ सौ ट्रैक्टर राविश की जरुरत होगी. पर्चेजिंग कमेटी से पास करवाने के बाद भी राविश की व्यवस्था की जा सकती है. इस मामले को निगम के आयुक्त को अवगत कराया जायेगा.

-कैलाश नारायण चौधरी, सफाई निरीक्षक, निगम

यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है. जांच करवाने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

-प्रेमशंकर झा, डीपीओ माध्यमिक शिक्षा सह बीईओ

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