धान की रोप पर सूखे की मार, खेतों में फटीं दरारें

Update: 2023-07-28 04:31 GMT

मोतिहारी न्यूज़: जिले में एक तो कड़ी मशक्कत के बाद किसानों ने धान की रोपनी करायी. निजी सिंचाई व्यवस्था से धान की रोप के बाद बारिश की कमी रही. अब जो किसान धान की रोपनी करा चुके हैं उसपर सूखे की मार से खेत में दरार फट गये हैं. कुछ किसान खेत में पटवन कर धान की रोप की बचाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं. लेकिन सूखे के कारण पटवन से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. जिससे किसान मायूस दिख रहे हैं. धान की खेती के लिए जुलाई माह में औसत वर्षापात 366 मिलीमीटर की दरकार होती है. लेकिन इस माह में 82 प्रतिशत कम बारिश हुई. लिहाजा अब धान की रोप को बचाने में किसानों के पसीने छूट रहे हैं. जिले में सरकारी नलकूपों की खास्ताहाल है. जिससे निजी नलकूप से पंपसेट से पटवन करना किसानों को काफी महंगा पड़ रहा है. जिससे किसान परेशान हैं. कृषि विभाग के अनुसार जिले में 1.83 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी का लक्ष्य है. जिसके विरूद्ध मात्र 80 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो सकी है. जबकि बारिश होने पर किसान धान की रोपनी इस माह तक पूरा कर लेते थे. सदर प्रखंड के बसवरिया के प्रगतिशील किसान ललन प्रसाद शुक्ला ने बताया कि मौसम विभाग के द्वारा बारिश को लेकर किया जा रहा पूर्वानुमान भी गलत निकल रहा है. जिससे किसानों में निराशा है. इधर डीएओ चंद्रदेव प्रसाद ने बताया कि खरीफ फसल बचाव के लिए सरकार के द्वारा डीजल अनुदान के लिए आवेदन प्राप्त किया जा रहा है. किसानों को तीन सिंचाई के लिए डीजल अनुदान मिलेगा. एक किसान को अधिकतम पांच एकड़ के लिए डीजल अनुदान का लाभ मिलेगा.

प्रति एकड़ 750 रुपये की दर से किसानों डीजल अनुदान का लाभ देने का प्रावधान किया गया है.

मधुबन में धान की खेती पर सूखे का संकट गहराया

वर्षा नहीं होने से मधुबन प्रखंड के किसानों को सूखे के संकट से जूझना पड़ रहा है. मौसम की दगाबाजी से किसान धान की रोपनी नहीं कर पा रहे हैं. अभी तक मधुबन में 61.6 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो पायी है. इस मौसम धान की फसल के लिए एक माह में 350 एमएम बारिश होनी चाहिए. किंतु जुलाई माह में महज 8.6 एमएम ही वर्षा हुई है. जून में 133 एमएम वर्षा हुई. उस समय खेतों में रोपनी के लिए धान के बिचड़े तैयार ही नहीं थे. स्थिति यह बन गयी है कि खेतों में धान के बिचड़े नवरोपित धान के पौधे सूखने के कगार पर आ गये हैं. धान की खेतों में दरारें पड़ने लगी है. खेतों में पड़ रही दरारों को देख किसानों का कलेजा फट रहा है. मधुबन में 5875 हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित है.

Tags:    

Similar News

-->