पटना: दुनियाभर के बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. बच्चों में इसके तेजी से बढ़ने पर डब्ल्यूएचओ ने भी चिंता जताई है. डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी गाइडलाइन और अलग-अलग शोध से यह साबित हो गया है कि इसका सबसे बड़ा कारण मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता ही है.
स्वस्थ खानपान, शारीरिक सक्रियता और जीवनशैली की सही आदतों से ही इस बीमारी की रोकथाम संभव है. डायबिटीज रोग विशेषज्ञ और आईजीआईएमएस के इंडोक्रिनोलॉजी के हेड डॉ. वेद प्रकाश, आरएसएसडीआई के डॉ. सुभाष कुमार ने बताया कि अब तक हुए शोध में यह स्पष्ट हो गया है कि निष्क्रिय जीवन शैली और अनियंत्रित खानपान ही किशोरों में मधुमेह का बड़ा कारण बनता जा रहा है. मैदान की कमी तथा पढ़ाई के दबाव के कारण बच्चे खेलकूद व अन्य शारीरिक गतिविधियों से दूर रहते हैं. स्कूल, कोचिंग और घर में पढ़ाई के अलावा सिर्फ खाना ही उनका काम रह जा रहा है. बचे समय को मोबाइल अथवा लैपटॉप पर गेम अथवा दोस्तों से बातचीत और ऑनलाइन क्लास में बिताते हैं. इसके साथ ही बच्चों में पिज्जा, बर्गर, चाउमिन, पैकेट वाला चिप्स-नमकीन जैसे जंक फूड्स, बहुत ज्यादा चीनी, कार्बन तथा कैफिन युक्त कोल्ड ड्रिंक्स का प्रचलन बढ़ा है. इसके अलावा घर में भी ज्यादा तेल-घी, मैदा, चीनी वाला खाना खाते हैं. ये बच्चों में मोटापा और अत्यधिक वजन और अंतत मधुमेह का कारण बन रहा है. एक अन्य कारक पारिवारिक इतिहास भी है. अत जिन बच्चों के माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी में से किसी को भी डायबिटीज है तो उन्हें खानपान और जीवनचर्या में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए.
एंटीबायोटिक अथवा अन्य दवाइयां मधुमेह का कारण नहीं
बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज का कारण जेनेटिक होने के साथ-साथ ऑटो इम्यून बीमारियां भी हैं जिसमें अपना शरीर ही अपनी कोशिकाओं और अन्य शारीरिक प्रक्रियाओं के खिलाफ कार्य करने लगता है. ऑटो इम्यून प्रणाली जब पैंक्रियाज की सामान्य प्रक्रिया को बाधित कर इन्सुलिन के स्तर को प्रभावित करती है तो बच्चा मधुमेह से ग्रसित हो जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोधों में यह कहा गया है. मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि परिवार में अगर किसी को मधुमेह है तो बच्चे में भी डायबिटीज का खतरा बना रहता है. इसके अलावा बचपन में रूबेला, चिकेन पॉक्स जैसे वायरस जनित बीमारियों से गंभीर रूप से बीमार पड़ने पर भी पैंक्रियाज को क्षति पहुंचती है और इन्सुलिन का स्राव बाधित होता है. यह कम उम्र में टाइप-वन डायबिटीज का कारण बनता है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि टाइप-1 डायबिटीज को रोकना मुश्किल है.