फर्जी कॉल मामले में डीजीपी की भूमिका संदिग्ध, सीबीआई जांच हो : सुशील मोदी

Update: 2022-10-20 18:28 GMT
पटना, (आईएएनएस)| बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के एक फर्जी कॉल कर पुलिस अधीक्षक को क्लीनचिट दिए जाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार कहा कि गया में शराब बरामद होने से लेकर वहांँ के तत्कालीन एसपी के स्थानांतरण और दर्ज मामले से दोषमुक्त करने तक पूरे मामले में फर्जी कॉल के आधार पर फैसले करने वाले डीजीपी एस के सिंघल की भूमिका संदेह के घेरे में है।
उन्होंने इस मामले की जांच सीबीआई या किसी अन्य सक्षम एजेंसी से करायी जानी चाहिए।
मोदी ने कहा कि जब एसपी स्तर के अधिकारी को बचाने और लाभ पहुंचाने का संदेह डीजीपी पर है, तो उनके नीचे काम करने वाली आर्थिक अपराध इकाई ( ईओयू) निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा कि डीजीपी सिंघल पिछले अगस्त महीने से उस व्यक्ति से दर्जनों बार बात कर रहे थे, उसकी पैरवी को गंभीरता से ले रहे थे, जो स्वयं को हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बता रहा था, लेकिन उन्होंने फोन करने वाले की सत्यता जांचने की कोशिश क्यों नहीं की?
मोदी कहा कि इस मामले में कई सवाल उठते हैं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि कई बार फोन पर बातें करने के बावजूद डीजीपी ने सीधे मिल कर हकीकत जानने की कोशिश क्यों नहीं की।
उन्होंने कहा कि यदि फोन कॉल फर्जी नहीं, असली मुख्य न्यायाधीश का ही होता, तब भी क्या शराब पकड़े जाने के मामले में एसपी स्तर के अधिकारी को फोन-पैरवी के आधार पर राहत दी जानी चाहिए थी। खास कर तब, जब शराब के मामले में 4 लाख लोग जेल जा चुके हैं।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि जिस एसपी पर मामला दर्ज किया गया था, उसे दोषमुक्त करने के लिए किसके दबाव में जांच अधिकारी को छुट्टी के दौरान चेन्नई से बुलाकर क्लोजर रिपोर्ट बनवायी गई?
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