पटना (आईएएनएस)। बिहार में कांग्रेस भले ही सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल होकर सत्ता में साझीदार हो लेकिन कांग्रेस संगठन के मामले में अभी भी काफी पीछे नजर आ रही है। इसमें कोई शक नहीं कि कांग्रेस अपनी पुरानी जमीन हासिल करने को लेकर व्यग्र है, लेकिन हकीकत यह भी है कि पिछले साल प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी संभाल रहे अखिलेश प्रसाद सिंह अब तक प्रदेश समिति यानी अपनी टीम गठित नहीं कर सके हैं।
इस संबंध में कांग्रेस का कोई भी नेता खुलकर तो नहीं बोलता है, लेकिन दबी जुबान पार्टी में आंतरिक गुटबाजी की ओर इशारा जरूर करता है। इशारा तो यहां तक किया जाता है कि जब प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष के रिश्ते सही नहीं होते तो पार्टी में समस्याएं आती ही है।
कांग्रेस के नेता कहते हैं कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने अपनी-अपनी रणनीति को लेकर तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन कांग्रेस अभी प्रदेश कमेटी बनाने की ही बात कर रही है, ऐसे में पार्टी की स्थिति समझी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष दिसंबर महीने में राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उस समय यह कहा जाने लगा था कि पार्टी पुराने ढर्रे को छोड़कर कुछ बदलाव के साथ आगे आयेगी।
दरअसल, सिंह के पहले प्रदेश अध्यक्ष रहे मदन मोहन झा भी अपने पूरे कार्यकाल में प्रदेश कमेटी का गठन नहीं कर सके थे। कांग्रेस के पूर्व विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेंद्र कुमार हालांकि कमेटी को लेकर किसी भी मतभेद से इनकार करते हुए कहा कि प्रदेश कमेटी बनने में कोई बाधा नहीं है।
उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि केंद्रस्तर पर कमेटी के बनने के एक पखवारे के अंदर प्रदेश कमेटी बन जाएगी। उन्होंने बड़ी कमेटी बनने की ओर इशारा करते हुए कहा कि कमेटी में कई लोग होंगे।