पटना न्यूज़: मेडिकल कॉलेज से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में लगे चिकित्सकीय उपकरणों की मरम्मत अब केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत होगी. उपकरणों का निर्बाध गति से संचालन हो, इसके लिए यह व्यवस्था बनाई गई है. बिहार पहला राज्य है जहां सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकीय उपकरणों की संख्या तय की गई है. उपकरण खराब होने की सूचना मिलने के दो 48 घंटे के भीतर उसका निदान करना है.
दरअसल, राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज, सदर अस्पताल से लेकर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक में मौजूद उपकरणों को क्रियाशील रखने की कवायद तेज कर दी गई है. अस्पतालों में लगे एक्सरे मशीन, ईसीजी, आईसीयू बेड, ओटी टेबल, अल्ट्रासाउंड मशीन, डायलिसिस मशीन, मैमोग्राफी यूनिट, पल्स ऑक्सीमीटर, सीटी स्कैन, पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड, मैकेनिकल वेंटीलेटर, डेंटल चेयर, नॉर्मल डिलिवरी किट, किडनी ट्रे जैसे चिकित्सकीय उपकरण लगातार काम करें, इसके लिए व्यवस्था की गई है. राज्य सरकार ने बायोमेडिकल इक्विपमेंट मेंटेनेंस एंड मैनेजमेंट प्रोग्राम (बीएमपीपी) को लॉन्च किया है. इसके तहत किर्लोस्कर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को उपकरणों को ठीक करने का दायित्व दिया गया है.
एजेंसी ने सभी स्वास्थ्य केंद्रों के उपकरणों का टैगिंग एवं मैपिंग का काम पूरा कर लिया है. एजेंसी के चयन होने के बाद अब किसी भी अस्पताल में लगा कोई उपकरण खराब होता है तो उसे ठीक कराने के लिए संस्थान के प्रभारी को परेशान होने की जरूरत नहीं है. उन्हें केवल विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए टोल फ्री नंबर पर शिकायत करनी होगी. खराब उपकरणों की निगरानी के लिए इक्विपमेंट मैनेजमेंट मेंटेनेंस सिस्टम (ईएमएमएस) डैशबोर्ड तैयार किया गया है. यह पोर्टल काम करना शुरू कर दिया है और राज्य के विभिन्न संस्थानों से अब तक 5408 शिकायत इस पोर्टल पर प्राप्त हो चुके हैं. इसमें से 5337 शिकायतों का निबटारा कर दिया गया है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार उपकरण खराब होने की सूचना मिलने के 48 घंटे के भीतर उसका निदान करना है. इस अवधि में उपकरणों की मरम्मत हो रही है या नहीं, इसकी निगरानी राज्य स्तर पर स्वास्थ्य विभाग कर रहा है.
संख्या पहले से है तय: मेडिकल कॉलेजों में जरूरत के अनुसार उपकरण दिए जाते हैं. जिला व अनुमंडलीय अस्पतालों के साथ अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बेड के अलावा क्या-क्या उपकरण होंगे, इसकी संख्या तय कर दी गई है. जिला सदर अस्पतालों के लिए 271 तरह के जरूरी उपकरण तय किए गए हैं. वहीं, अनुमंडलीय अस्पतालों में 227 और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 107 तरह के जरूरी उपकरण चिह्नित किए गए हैं.