डाकबंगला दुर्गापूजा में पहली बार रंगीन रंगीन का जोड़ा
घी से तैयार घी का बड़े पैमाने पर वितरण होता है.
पटना: पटना में दुर्गापूजा का समापन शुरू हो गया है। शहर में दुर्गापूजा महोत्सव की ओर से नारियल निर्माण, मूर्ति निर्माण, साज-सज्जा का काम शुरू हो गया है। इस साल डाकबंगला बेकरी पर पहली बार रंगीन नारंगी का सामान तैयार होगा।
इसके लिए पश्चिम बंगाल से कारीगर पटना पहुंच रहे हैं। लगभग साढ़े 41 सौ फ़ीट के ऑफिस का ग्राउंड 90 से 95 फ़ुट और 40 से 45 फ़ुट की चौड़ाई। औद्योगिक निर्माण के मुख्य कलाकार शुभेंदु भुइयां हैं। मेदिनीपुर पश्चिम बंगाल में कुटीर निर्माण हो रहा है। पूजा समिति के मुखिया अमित कुमार बरूआ ने कहा कि वे पटना में सिर्फ बना-बनाया मंदिर का खांचा सेट करेंगे। इस साल पूजा-पंडाल का बजट 55 से 60 लाख रुपये के बीच होने का अनुमान है।
बनती है प्रतिदिन तीन टन प्रसाद डाकबंगला चौक सप्तमी पर माता को घी के हलवे का भोग लगाया जाता है। अष्टमी तिथि को खेड-पूरी का भोग लगता है और नवमी को खेड-पूरी का भोग लगाया जाता है। सप्तमी से लेकर नवमी तक हर दिन तीन टन से अधिक भोग का वितरण होता है। इस साल हलवा बनाने के लिए करीब 15 सौ सौ शुद्ध घी का ऑर्डर दिया गया है। पूजा समाप्त होने के बाद शहर में प्रसाद का वितरण होता है। इसमें काजू की बर्फी, घी से बनी गाजा औरघी से तैयार घी का बड़े पैमाने पर वितरण होता है.
राजधानी में बीस लाख से अधिक आस्ट्रेलियन काॅलेक्चरन दुर्गापूजा के दौरान सबसे ज्यादा भीड़ डाकबंगला चौक पर रहती है। पूजा समिति से जुड़े सदस्यों के अनुसार सप्तमी से लेकर नवमी के बीच पूजा में 20 लाख से ज्यादा लोग शामिल हैं। यहां पटना के अलावा आसपास के शहरों जैसे आरा, मोकामा, बाढ़, बख्तियारपुर आदि इलाक़े से भी लोग लकड़ी की रैकिंग करते हैं। सप्तमी से नवमी के बीच पूजा समिति के लगभग पांच सौ स्वयंसेवक रात्रि की पाली में रहते हैं। प्रातः व दिन की पाली में सौ से अधिक स्वयंसेवक रहते हैं। इसके अलावा प्रशासन जिले से भी भीड़ प्रबंधन में मदद मिलती है। पूरे इलाके में प्रॉपर्टी कैमरे से नजर रखी जाती है।