इंसेफेलाइटिस से ग्रसित बच्चे हो रहे ऑटिज्म के शिकार

Update: 2023-04-04 12:58 GMT

मुजफ्फरपुर न्यूज़: इंसेफेलाइटिस का शिकार हो चुके बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण मिल रहे हैं. ऐसे मरीज लगातार न्यूरो सर्जन और फिजिशियन के पास पहुंच रहे हैं. एसकेएमसीएच के न्यूरो विभाग के अध्यक्ष डॉ. दीपक कर्ण ने बताया कि उनके पास कई ऐसे बच्चे आए हैं जिन्हें पहले इंसेफेलाइिटिस हुआ और बाद में ऑटिज्म से ग्रसित हो गये. एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभाग के डॉ. जेपी मंडल ने बताया कि लंबे समय तक चमकी से पीड़ित करीब 30 फीसदी बच्चों में ऑटिज्म की समस्या देखी जा रही है.

माइटोकांड्रिया पर असर से हो रहा ऑटिज्म न्यूरो विभाग के हेड डॉ. कर्ण ने बताया कि इंसेफेलाइटिस में माइटोकांड्रिया पर असर होता है. माइटोकांड्रिया सभी कोशिकाओं का पावर हाउस होता है. इसपर असर से बच्चों में समझने की क्षमता पर असर पड़ता है. ऑटिज्म भी इसी से हो रही है. डॉ. कर्ण ने बताया कि लंबे इलाज के बाद बीमारी ठीक होती है.

डॉ. कर्ण ने बताया कि एक वर्ष से कम या एक से दो वर्ष के बच्चों में इंसेफेलाइटिस होने पर उन्हें ऑटिज्म घेर रहा है. जन्म के पहले वर्ष में ही दिमाग का 90 प्रतिशत विकास होता है. अगर इस समय ब्रेन में संक्रमण हुआ तो ऑटिज्म घेरता है. उन्होंने बताया कि इंसेफेलाइटिस के अलावा जन्म के समय नहीं रोने वाले बच्चे ऑटिज्म के शिकार हो रहे हैं. बच्चों के नहीं रोने से उनके दिमाग में कोई हलचल नहीं हुई.

पश्चिम चंपारण के एक बच्चे अभि को वर्ष 2022 में एईएस हुआ. अभिभावक ने बताया कि बच्चा एईएस से ठीक हो गया लेकिन उसकी तबीयत खराब रहती है. बच्चा अभी छोटा है, लेकिन उसे कुछ पढ़ाया जाता है तो समझने में परेशानी होती है. बच्चे को लगातार सर्दी बुखार भी रहता है.

दादर के मो. आलम को पिछले वर्ष चमकी हुआ था. अभिभावक ने बताया कि एईएस के बाद उसके एक हिस्सा में पैरलाइसिस हो गया था. मेडिकल कॉलेज में इलाज से हालत में सुधार है. बीमार होने के बाद दूसरे बच्चों की तरह उसका विकास धीरे-धीरे हो रहा है. बात को वह धीरे धीरे समझता है.

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