झारखंड में बिहार के तर्ज पर होनी चाहिए जनगणना, सरकार ले निर्णय- बंधु तिर्की
झारखंड : झारखंड में भी बिहार की तर्ज़ पर ही जातिगत आधार पर शीघ्र ही जनगणना शुरू होनी चाहिए। क्योंकि यह समय की मांग है। ये बातें झारखंड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य और झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कही। उन्होंने कहा कि झारखंड में जातिगत आधार पर जनगणना नहीं होने की वजह से एक बड़ी आबादी को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिसमें जनजातीय समुदाय, अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग ओर अन्य पिछड़े वर्ग के लोग शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इसके कारण उन्हें न तो घोषित आरक्षण नियमों का फायदा मिल पा रहा है और न ही अनेक लाभकारी योजनाओं का फायदा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इसके वजह से अभावग्रस्त लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति बद-से- बदतर होती जा रही है। वहीं, उन्होंने कहा कि यदि जातिगत आधार पर जनगणना शुरू नहीं होगी, तो समाज की वास्ताविक जरूरतों के अनुरूप आरक्षण नियमों का वास्तविक अर्थों में जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन करना मुश्किल है।
झारखंड में वर्षों से अनेक लोग हैं वंचित और पिछड़े
तिर्की ने कहा कि झारखंड के गठन के 22 वर्ष पूरे हो गए। लेकिन, यहां के आदिवासियों, मूलवासियों, अन्य पिछड़े वर्गों आदि को वह लाभ नहीं मिल पाया जिस के लिए झारखंड का गठन किया गया था। इस लिए जारूरी है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस संदर्भ में जल्द से जल्द सकारात्मक फैसला लें। उऩ्होंने कहा कि झारखंड में वर्षों से अनेक लोग वंचित और पिछड़े हैं। सरकार उनके लिए कई तहर के लाभकारी योजनायें बनायी। सभी योजनाएं धारतल पर भी उतरी है। लेकिन, जनगणना नहीं होने के कारण आरक्षण और लाभकारी योजनाओं का फायदा बड़ी संख्या में वैसे लोगों को नहीं मिल पा रहा। जो उसके हकदार हैं। वहीं, तिर्की ने कहा कि बिहार में जातिगत आधार पर जनगणना के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में कुछ लोगों द्वारा दायर याचिका के संदर्भ में माननीय न्यायाधीशों द्वारा कही गयी बातें इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि आज के संदर्भ में जातिगत जनगणना समय की मांग है और यह सामाजिक स्तर की वैसी जरूरत है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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