लालू, तेजस्वी, राबड़ी देवी के खिलाफ CBI ने दायर किया चार्जशीट, अगली सुनवाई 12 जुलाई को
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को लेकर एक तरफ खबरें जोरों पर है कि जल्द ही वह बिहार के सीएम के रूप में शपथ ले सकते हैं, तो वहीं दूसरी ओर उनकी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. दरअसल, सीबीआई द्वारा आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आरजेडी चीफ लालू यादव, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है. मामले में अगली सुनवाई 12 जुलाई 2023 को होगी. बता दें कि ये घोटाला 2004 से 2009 की है, उस वक्त लालू यादव रेल मंत्री थे. केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. इस दौरान लालू यादव को रेल मंत्री का पद दिया गया था. लालू यादव ने रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे में नौकरी देने के नाम पर रिश्वत के रूप में लोगों से उनकी जमीन ली थी.
लालू, राबड़ी, तेजस्वी यादव, मीसा भारती से हो चुकी है पूछताछ
लैंड फॉर जॉब मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, आरजेडी सांसद व लालू की पुत्री मीसा भारती से सीबीआई द्वारा लैंड फॉर जॉब्स मामले में पूछताछ की जा चुकी है. वहीं, लालू, राबड़ी, मीसा भारती को कोर्ट द्वारा जमानत भी पूर्व में दी जा चुकी है. हालांकि, तेजस्वी यादव ने अभी तक मामले में अपनी जमानक नहीं कराई है. बता दें कि ये मामला 2004-2009 के रेलवे भर्ती घोटाले से जुड़ा है. लालू यादव पर आरोप है कि जब वह रेल मंत्री थे तब नौकरी के बदले जमीन देने के लिए कहा जाता था. चूंकि, नौकरी के बदले पैसे लेने में रिस्क रहता था इसलिए पैसे नहीं लिए जाते थे, उसकी जगह जमीन ली जाती थी. आरोप यह भी है कि इस पूरे जमीन वसूली के काम की जिम्मेदारी लालू के उस समय के OSD भोला यादव को दी गई थी. इस मामले की सीबीआई द्वारा लालू समेत 16 लोगों को आरोपी बनाया गया है.
2022 में भी हुई थी कार्रवाई
बता दें कि इसी मामले में पहले भी लालू यादव के ठिकानों पर कार्रवाई हो चुकी है. मई 2022 में लालू के परिजनों से जुड़े 17 ठिकानों पर CBI की टीम ने छापेमारी की थी. तभी CBI ने भ्रष्टाचार का नया केस दर्ज किया था. CBI के अनुसार लालू यादव के परिवार ने बिहार में 1 लाख स्क्वायर फीट से ज्यादा जमीन महज 26 लाख रुपए में ली. ज्यादातर जमीन की खरीद का भुगतान कैश में किया गया. जिस वक्त ये जमीन ली गई उस वक्त जमीन की कीमत करीब 4.39 करोड़ रुपए थी.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि यह पूरा मामला 2004-2009 के रेलवे भर्ती घोटाले से जुड़ा है. उस समय लालू यादव रेल मंत्री थे, तब नौकरी के बदले जमीन देने के लिए कहा जाता था. चूंकि, नौकरी के बदले पैसे लेने में रिस्क रहता था. इसलिए पैसे की जगह जमीन ली जाती थी. इस पूरे जमीन वसूली के काम की जिम्मेदारी लालू यादव के उस समय के OSD भोला यादव को दी गई थी. इस मामले की चार्जशीट में CBI ने लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और 14 अन्य को आरोपी बनाया है. वहीं मामले में सीबीआई ने 23 सितंबर 2021 नौकरी के बदले जमीन मामले का खुलासा करते हुए बताया था कि कैसे लालू ने रेल मंत्री रहते हुए घोटाले को अंजाम दिया. 18 मई, 2022 को भ्रष्टाचार निरोधक कानून और आईपीसी की धारा 120बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
बता दें कि आरोप ये लगा कि रेलवे में नौकरी के बदले कई लोगों से जमीन ली गई. एक मामले में 105,292 वर्ग फुट की जमीन लालू प्रसाद यादव के परिवार ने विक्रेताओं से खरीदी थी. सात जमीन में से पांच बिक्री विलेख और दो उपहार विलेख के जरिए ली गई थी. बता दें कि ईडी आईआरसीटीसी घोटाले के सिलसिले में तीन राज्यों में करीब 15 जगहों पर छापेमारी कर रही है.
सीबीआई ने दर्ज किया था केस
सीबीआई ने तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों और 15 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिनमें अज्ञात लोक सेवक और निजी व्यक्ति शामिल थे. एक अधिकारी ने कहा, 2004-2009 की अवधि के दौरान, उन्होंने रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह डी पदों पर नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन-जायदाद के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया. सीबीआई के मुताबिक, जोनल रेलवे में स्थानापन्न की ऐसी नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, फिर भी पटना के निवासी नियुक्तियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न क्षेत्रीय रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था. इस कार्यप्रणाली को जारी रखते हुए, लगभग 1,05,292 वर्ग फीट जमीन, पटना में स्थित अचल संपत्ति लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा पांच बिक्री विलेखों और दो उपहार विलेखों के माध्यम से अधिग्रहित की गई थी, जिसमें अधिकांश भूमि हस्तांतरण में विक्रेता को नकद में किए गए भुगतान को दशार्या गया था.
वो नाम और जमीनों का विवरण जिनके बारे में जांच में पता लगा-
1. स्वर्गीय किशन देव राय ने जो पटना के महुबाग के रहने वाले थे, इन्होंने 3375 स्कॉयर फ़ीट जमीन राबड़ी देवी के नाम 3,75,000 के कन्सिड्रेशन पर कर दी और इसके बदले किशन देव के पोतों राजकुमार, अजय कुमार और मिथलेश को मुंबई में ग्रुप डी की पोस्ट पर जॉब दी गई थी.
2. पटना की रहने वाली किरण देवी के जमीन का पार्सल 1 एकड़ 85(3/4) तकरीबन 80905 स्कॉयर फीट जमीन लालू यादव की बेटी मीसा भारती के नाम 3,70,000 के सेल कन्सड्रेशन पर ट्रांसफर की गई. इसके बदले इनके बेटे अभिषेक कुमार को भी 2008 में मुंबई में रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी मिली. इनके अलावा कई ओर लोगों की भी जानकारी मिली है, जिन्हें जमीन के बदले नौकरी मिली.
क्या है घोटाला?
-लालू यादव पर IRCTC घोटाले का आरोप
-लालू के रेलमंत्री रहने के दौरान घोटाला
-लालू पर रेलमंत्री रहते पद का दुरुपयोग का आरोप
-SHPL को दो होटल लीज पर देने का आरोप
-विनय कोचर और विजय कोचर थे SHPL के मालिक
-IRCTC के रांची-पुरी में लीज पर दिये थे दो होटल
-बदले में लालू परिवार को मिली पटना में 3 एकड़ जमीन
-होटल देने के एवज में कथित तौर पर मिली कीमती जमीन
-डिलाइट कंपनी को SHPL से मिली कथित तौर पर जमीन
-राबड़ी-तेजस्वी की लारा प्रोजेक्ट कंपनी ने डिलाइट कंपनी से ली जमीन
-बेहद कम कीमत पर डिलाइट कंपनी से लारा प्रोजेक्ट ने खरीदी जमीन
-आरजेडी नेता प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के नाम पर डिलाइट कंपनी
-2006 के घोटाले में CBI ने राबड़ी-तेजस्वी से कई बार की पूछताछ
-CBI ने 2017 में लालू,राबड़ी, तेजस्वी समेत 16 पर मामला दर्ज
-सीबीआई ने 2017 में सभी के खिलाफ किया मुकदमा दर्ज
-2018 में सभी को मिल गई कोर्ट से जमानत
-CBI के बाद ED ने भी मामले में चार्जशीट दाखिल की