बिहार में होगी जातीय जनगणना, सर्वदलीय बैठक के बाद नीतीश कुमार ने किया ऐलान

बिहार में जातीय जनगणना (caste census in bihar) को लेकर चल रही सर्वदलीय बैठक समाप्त हो चुकी है

Update: 2022-06-01 13:10 GMT

पटना: बिहार में जातीय जनगणना (caste census in bihar) को लेकर चल रही सर्वदलीय बैठक समाप्त हो चुकी है. बैठक के बाद सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar On Caste Census ) ने बड़ा ऐलान किया है. सीएम नीतीश ने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना होगी. इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा. सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है.

बिहार में होगी जातीय जनगणना: इससे पहले सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के लिए सभी दलों के नेता पहुंचे थे. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) , उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी, ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव बैठक में शामिल हुए. इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (RJD Leader Tejashwi Yadav) के साथ-साथ विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हुए. बैठक से पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के नेताओं के साथ बैठक की. बैठक की सबसे प्रमुख बात रही कि बैठक में पहली बार एआईएमआईएम के सदस्य भी पहुंचे.
बैठक में शामिल हुए 9 दल के नेता: सीएम नीतीश कुमार और संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी के साथ ही 9 दलों के नेता इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुए थे. मंत्री विजेंद्र यादव, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, वाम दल के अजय कुमार और महबूब आलम बैठक में शामिल हुए. इसके साथ ही पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी बैठक में मौजूद थे. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के अलावा और भी कई नेता व विधायक इस बैठक का हिस्सा बने.
संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा- 'अहम है बैठक': जिन दलों के विधायक विधानसभा में नहीं है उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया है. बैठक में जाने से पहले संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि यह बैठक काफी अहम है. जातीय जनगणना के माध्यम से योजना बनाने में मदद मिलेगी. विजय चौधरी ने कहा सभी की गिनती जातीय जनगणना में की जाएगी.
जातीय जनगणना पर बीजेपी का रुख क्या होगा? : जातीय जनगणना कैसे हो इसको लेकर ही सभी दल के नेताओं को ससमय बैठक में उपस्थित होने का आग्रह किया गया था. इधर इस बैठक को लेकर मंगलवार को आरजेडी ने विधानमंडल दल की बैठक की. इसके अलावा सभी पार्टियां तैयारी कर चुकी है. हालांकि जातीय जनगणना पर बीजेपी का रुख क्या रहता है इसपर सबकी नजर टिकी रहेगी.
केंद्र नहीं करायेगी जातीय जणगणना : यहां उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि सरकार जातीय जनगणना नहीं कराने जा रही है. वहीं राज्यों को ये छूट मिली है कि अगर वो चाहें तो अपने खर्चे पर सूबे में जातीय जनगणना करा सकते हैं. वहीं बिहार में लगभग सभी दल एकमत हैं कि प्रदेश में जातीय जनगणना होनी चाहिए. भाजपा ने इसे लेकर केंद्र के फैसले के साथ खुद को खड़ा रखा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हाल में ही इस मुद्दे पर मुलाकात की थी. सीएम लगातार जातीय जनगणना के पक्ष में बयान देते रहे हैं.
नीतीश कुमार के नेतृत्व में पीएम से मिला था शिष्टमंडल : जातीय जनगणना को लेकर तेजस्वी यादव की पहल पर ही पिछले साल 23 अगस्त को नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से शिष्टमंडल मिला था लेकिन केंद्र सरकार ने साफ मना कर दिया है. अब नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक कर इस पर फैसला लेने की बात कही है. ऐसे में इसमें क्या होता है इसपर सबकी निगाह टिकी रहेगी.
जातीय जनगणना को लेकर सरगर्मी तेज: बिहार में वोट के लिहाज से ओबीसी और ईबीसी बड़ा वोट बैंक है. दोनों की कुल आबादी 52 फीसदी के आसपास माना जाता है. और इसमें सबसे अधिक यादव जाति का वोट है जो 13 से 14% के आसपास अभी मान जा रहा है. जहां तक जातियों की बात करें तो 33 से 34 जातियां इस वर्ग में आती है. ऐसे तो जातीय जनगणना सभी जातियों की होगी लेकिन जेडीयू और आरजेडी की नजर ओबीसी और ईबीसी जाति पर ही है. दोनों अपना वोट बैंक इसे मानती रही है.
1931 के बाद जातीय जनगणना नहीं हुआ: 1931 के बाद जातीय जनगणना नहीं हुआ है. इसलिए अनुमान पर ही बिहार में जातियों की आबादी का प्रतिशत लगाया जाता रहा है. बिहार में ओबीसी में 33 जातियां शामिल है तो वही ईबीसी में सवा सौ से अधिक जातियां हैं. ओबीसी और ईबीसी की आबादी में यादव 14 फीसदी, कुर्मी तीन से चार फीसदी, कुशवाहा 6 से 7 फीसदी, बनिया 7 से 8 फीसदी ओबीसी का दबदबा है. इसके अलावा अत्यंत पिछड़ा वर्ग में कानू, गंगोता, धानुक, नोनिया, नाई, बिंद बेलदार, चौरसिया, लोहार, बढ़ई, धोबी, मल्लाह सहित कई जातियां चुनाव के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं.


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