बिहार : बिहार में आज से जाति आधारित जनगणना (caste based census) की शुरूआत हो गया है। इस जनगणना का नाम दो चरणों में होगा। पहले चरणों में घरों की गिनती होगी। जबकि दूसरे चरण में जातियों को गिनने का काम किया जाएगा। पहला चरण 7 जनवरी से 21 जनवरी तक चलेगा। वहीं दूसरा चरण 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलेगा। बता दें कि जातिगत जनगणना को लेकर बिहार में काफी सियासी उठापटक देखने को मिला था। आखिरकार अब जाकर वहां जाति आधारित जनगणना को मंजूरी मिली है।
कैसे होगी मकानों की नंबरिंग
राज्य सरकार के स्तर पर अभी मकानों की कोई नंबरिंग नहीं की गई है। अब सरकारी स्तर पर दिया गया नंबर ही सभी मकानों का स्थायी नंबर होगा जो पेन मार्कर या लाल रंग से लिखा जाएगा। इसे 2 मीटर की दूरी से पढ़ा जा सकेगा। पहले चरण में यदि कोई मकान नंबरिंग में छूट जाता है या कोई नया मकान बन जाता है तो उसका नंबर बगल के नंबर के साथ ABCD या ऑब्लिक 123 आदि जोड़ कर किया जाएगा। यदि किसी मकान का नंबर 20 है और उसके बाद खाली जगह है। अगले मकान का नंबर 21 है। मकान नंबर 20 और 21 के बीच खाली जगह पर भविष्य में तीन नए मकान बनते हैं तो इनका नंबर 20A, 20B और 20C या 20/1, 20/2 या 20/3 होगा। मकानों की नंबरिंग, रोड और गली के आधार पर होगा।
दूसरे चरण में ली ये सारी जानकारी
दूसरे चरण में बिहार सरकार जाति और आर्थिक दोनों सवाल करेगी। इसमें शिक्षा का स्तर, नौकरी (प्राइवेट, सरकारी, गजटेड, नन-गजटेड आदि) गाड़ी (कैटगरी), मोबाइल, किसी काम में दक्षता, आय के अन्य साधन, परिवार में कितने कमाने वाले सदस्य, एक व्यक्ति पर कितने आश्रित, मूल जाति, उप जाति, उप की उपजाति, गांव में जातियों की संख्या, जाति प्रमाण पत्र आदि की जानकारी हासिल की जाएगी।
कितना है खर्च
जानकारी के मुताबिक नीतीश सरकार जातिगत जनगणना के सर्वे पर 500 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। हालांकि ये खर्च अनुमानित है। खर्च कंटेनजेंसी फंड से किया जाएगा। जातिगत गणना को लेकर सराकार का पक्ष है कि जाति आधारित गणना से समाज के सभी वर्गों को लाभ होगा और इस कवायद का उद्देश्य वंचित लोगों के लिए विकास कार्य करने का है।
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