Buxar: बच्चे बिना शिक्षक के ही पठन-पाठन करने को हैं मजबूर
प्लस टू स्कूलों को नहीं मिले शिक्षक
बक्सर: शैक्षणिक सत्र 2024-25 में भी नगर निकायों में प्लस टू वर्ग बिना शिक्षक के ही बच्चे परीक्षा में शामिल होंगे. लगातार शिक्षकों की बहाली व कांउसलिंग के बाद भी अब तक शहरी क्षेत्र के बच्चे बिना शिक्षक के ही पठन पाठन करने को मजबूर हैं.
इससे बच्चों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पूरी नहीं हो पा रही है. अभिभावकों में सरकार के इस रवैया से काफी नाराजगी है. अभिभावकों ने रोष व्यक्त करते हुए बताया है कि शहरी क्षेत्र के बच्चों की गुणवत्ता को समाप्त करने की ओर शिक्षा व्यवस्था बढ़ रही है.
अभिभावक हेमंत कुमार ने बताया कि प्लस टू में हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण करने के बाद बच्चों को प्लस टू में बेहतर शिक्षा की जरूरत होती है. लेकिन सरकार की अदूरदर्शी नजरिया के कारण बिना शिक्षक के ही बच्चे प्लस टू में नामांकन करवा रहे हैं. परीक्षा भी दे रहे हैं. इसी तरह शंभु सिंह ने बताया कि ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई अत्यधिक महत्वपूर्ण है. प्लस टू के बाद ही बच्चे विभिन्न क्षेत्र में अपना कॅरियर बना सकते हैं. लेकिन जब बिना शिक्षक के ही बच्चे पढ़ेंगे तो तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि उनका कॅरियर किस ओर जाएगा.
पूर्व उप मुखिया गिरीश कुमार राय ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अधिक है. उसकी तुलना में छात्र ही नहीं हैं. दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों में बच्चे हैं तो शिक्षक ही नहीं है. गौरतलब है कि तेघड़ा नगर परिषद में दो प्लस टू स्कूल हैं. दोनों में एक भी विषय के शिक्षक नहीं है. एचएम चिन्मय आनंद ने बताया कि शिक्षक के अभाव में मिडिल स्कूल के शिक्षक ही उन्हें पढ़ा रहे हैं. सत्र समाप्त होने पर है. अब तक शिक्षक नहीं दिए जाने से प्रतिदिन अभिभावकों से जूझना पड़ रहा है. बीईओ उदय महतो ने बताया कि सरकार के निर्देश के बाद ही शहरी क्षेत्र के प्लस टू में शिक्षकों को दिया जा सकेगा.
आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों का कराया अन्नप्राशन
प्रखंड क्षेत्र में संचालित 121 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
नावकोठी, रजाकपुर, पहसारा पूर्वी एवं पश्चिमी, विष्णुपुर सहित विभिन्न पंचायतों में आयोजित कार्यक्रमों में सेविकाओं ने माता-पिता एवं अन्य अभिभावकों को कुपोषण की गंभीरता से अवगत कराया. कुपोषण से मुक्ति के लिए चलायें जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों से भी अवगत कराया. पोषक क्षेत्र की अभिभावक महिला एवं धात्री माता अपने साथ छह माह से उपर एवं दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ कार्यक्रम में शामिल हुई थी. कुपोषण एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए छ माह के बाद बच्चों को उपरी आहार देने की आदत डालने के उद्देश्य से बच्चों का अन्नप्राशन कराया गया. केन्द्रों पर अनाज और मौसमी सब्जी, साग, अंडा, फूल एवं फलों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी. अन्नप्राशन कार्यक्रम का महिला पर्यवेक्षिका द्वारा अपने सेक्टर क्षेत्र के केंद्रों का अनुश्रवण किया.
महिला पर्यवेक्षिका लालिमा कुमारी ने बताया कि बच्चों को छह माह तक सिर्फ मां का ही दूध देना चाहिए. छह महीने के बाद बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए ऊपरी आहार आवश्यक है. माताओं को कटोरी के माप से आहार खिलाने की अपील की गयी. कार्यक्रम में मीना कुमारी, कमरून निशा बेग, पार्वती कुमारी, शकीला बेगम, जीवछ कुमारी आदि शामिल थीं.