केंद्रीय पुस्तकालय में नहीं पहुंच रहे किताबों के कद्रदान, रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप के बुकस्टॉल बंद
मधुबनी न्यूज़: साहित्यकारों के शहर मधुबनी में अब इक्के दुक्के बुकस्टॉल ही बचे हैं. केंद्रीय पुस्तकालय रहने के बावजूद भी वहां पर किताबों के कद्रदान नहीं पहुंच रहे हैं. पहले रेलवे स्टेशन सरकारी बस स्टैंड व सार्वजनिक जगह पर बुकस्टॉल पर लोगों की भीड़ जुटी रहती थी.
शहर में पुस्तकों के प्रकाशन का इतिहास बहुत पुराना है. 1940 के दशक में यहां मिथिला प्रेस था. उस समय संस्कृत और हिन्दी की किताबें यहाँ छपती थी. उस प्रेस के बंद होने के बाद मधुबनी के लेखक अन्यत्र से प्रकाशन करवाने लगे. बाद के दिनों में नवारम्भ प्रकाशन कार्यालय यहां खुला तो प्रकाशन जगत में तेजी आई. अबतक इस प्रकाशन से एक हजार से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है, जिसमे हिन्दी, मैथिली, अंग्रेजी, उर्दू सहित 10 भाषाओं की पुस्तकें शामिल हैं. इस प्रकाशन के निदेशक अजित आजाद भी लेखक हैं. इनकी अबतक 33 किताबें प्रकाशित हैं, जिसमें हिन्दी की 12 पुस्तकें शामिल हैं. इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त है.
शहर में इनदिनों अनुप्रास प्रकाशन सहित अन्य प्रकाशन भी सक्रिय हैं. मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति सहित अन्य संस्थाएं भी पुस्तकें प्रकाशित कर रही हैं. शहर के लेखकों में उदयचंद्र झा विनोद तथा वीरेंद्र झा की 20-20 पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिसमे मैथिली सहित हिन्दी की भी किताबें हैं. अन्य प्रमुख लेखकों में प्रो जे पी सिंह, शुभ कुमार वर्णवाल, उदय जायसवाल, नरेंद्र नारायण सिंह निराला, भोलानन्द झा आदि की हिन्दी किताबें चर्चित रही हैं. मैथिली लेखक रामेश्वर निशांत, सतीश साजन, विनयानन्द झा, विनोद कुमार झा, दिलीप कुमार झा, गोपाल झा अभिषेक, आद्यानाथ झा नवीन, दुर्गेश मंडल, सोनू कुमार झा, ऋषि बशिष्ठ, दीप नारायण, आनन्द मोहन झा की किताबें नियमित अंतराल पर छपती रही हैं.
इनमें से कई लेखक शहर से सटे गावों में रहते हैं मगर इनकी पहचान में मधुबनी शहर भी शामिल है.शहर में कहने को तो 2 पुस्तकालय हैं मगर जिला केंद्रीय पुस्तकालय सक्रिय है. यहां दस हजार से अधिक पुस्तकें हैं. यहां नियमित साहित्यिक आयोजन भी होता रहता है.जानकी पुस्तक केंद्र लेखकों का अड्डा है. यहां साहित्यिक पुस्तकों एवं पत्रिकाएं उप्लब्ध हैं. शहर का यह प्रमुख पुस्तक विक्रय केन्द्र है.
शहर के चर्चित लेखकों में उदयचंद्र झा विनोद, अजित आजाद, जे पी सिंह, दिलीप कुमार झा आदि हैं. इनकी किताबें चाव से पढ़ी जाती हैं. इनकी किताबें बिकती भी अधिक हैं. शहर में साहित्यिक आयोजन भी खूब होता है. स्वचालित कवि गोष्ठी विगत 40 वर्षों से प्रतिमाह आयोजित होता आ रहा है. साहित्यिक साधना स्थली तथा मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति भी वर्षों से मासिक गोष्ठियों का आयोजन करती आ रही है. सरकारी स्तर पर हिन्दी दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन होता है. कुल मिलाकर कहें तो सौ से अधिक लेखकों वाले इस शहर में पुस्तक प्रकाशन की स्थिति, साहित्यिक आयोजनों की स्थिति अन्य शहरों की तुलना में काफी अधिक है.