नालंदा न्यूज़: खुद को राजनीतिक सामंत समझने वाले भाजपा के कुछ नेता अतिपिछड़ा समाज को आगे नहीं बढ़ने देने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. यह लोग आज भी अतिपिछड़े समाज को हेय दृष्टि से देखते हैं.
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता राजीव रंजन ने बयान जारी कर कहा कि इनकी मंशा अभी भी अतिपिछड़ा समाज को पहले के जमाने की तरह बंधुआ मजदूर बना कर रखने की है.उन्होंने कहा कि अतिपिछड़े समाज से घृणा करने की वजह से ही इतने वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा ने समाज के नेताओं को कभी कोई महत्वपूर्ण मंत्रालय नहीं दिया. जिन्हें दिखावे के लिए मंत्री पद दिया भी गया, उन्हें ढंग से काम नहीं करने दिया गया. दरअसल, भाजपा अतिपिछड़े नेताओं को वोट बैंक तक सीमित रखने की साजिशों में लगी है. समाज की बड़ी संख्या को देखते यह लोग उन्हें झुनझुना पकड़ा कर अपने साथ रखना तो चाहते हैं, लेकिन उन्हें वाजिब सम्मान देना उन्हें पसंद नहीं है. इनकी इसी मानसिकता से आहत होकर इनके अतिपिछड़े समाज के सबसे बड़े नेता और मोर्चा अध्यक्ष ने अपना इस्तीफा दे दिया. भाजपा के नेताओं को इसका मलाल तक नहीं है. अन्य अतिपिछड़ा नेता यह जान चुके हैं कि भाजपा में उनकी हैसियत झंडा ढोने वाले से अधिक नहीं है.