महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. शरद पवार की पार्टी में हुई इस टूट के बाद केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने दावा किया है कि बिहार में भी विपक्षी दलों में ऐसी टूट हो सकती है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी ने विपक्षी एकता पर पहली सर्जिकल स्ट्राइक कर दी? क्या पटना का बदला महाराष्ट्र से लिया गया? महाराष्ट्र में शरद पवार को आखिरकार भतीजे अजित पवार और उनके कई करीबी नेताओं ने दगा दे ही दी. शरद पवार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे थे.
विपक्षी एकता पर पहली सर्जिकल स्ट्राइक
23 जून को बैठक में शामिल होकर पवार महाराष्ट्र लौटे. एक हफ्ता पूरा हुआ ही था कि उन्हें अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा झटका लगा. भतीजे अजित पवार और करीबी नेता छगन भुजबल के अलावा कई विधायकों ने शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया. 2 जुलाई के दिन बीजेपी ने नीतीश की विपक्षी एकता पर पहली सर्जिकल स्ट्राइक कर दी. जो पूरे विपक्ष के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. महाराष्ट्र में आये इस सियासी भूकंप के झटके बिहार में सीएम नीतीश कुमार को भी फील हुए हैं. उन्हें पूरा भरोसा था कि सभी पार्टियां एक छत के नीचे आई हैं तो बेंगलुरू की अगली विपक्षी एकता वाली बैठक में बात बन जाएगी, लेकिन विपक्षी एकता पर इस पहली सर्जिकल स्ट्राइक ने नीतीश को जो नुकसान पहुंचाया है, वो सिर्फ वही जान सकते हैं.
अब आगे क्या?
अब सवाल ये कि आगे क्या? अब ये माना जा रहा है कि बीजेपी ने विपक्षी एकता का जवाब अब इसी तरह के सियासी हमलों से देने का मन बना लिया है. यह भी माना जा रहा है कि बिहार में भी बीजेपी JDU के उन विधायकों की तलाश में है, जो इस तरह के मौके की फिराक में चुप बैठे हैं. ऐसे में क्या बीजेपी की तरफ से कोई और पॉलिटिकल सर्जिकल स्ट्राइक होगी, इसका डर तो विपक्ष में पसर ही गया है.