बिहार : गंगा में ओवरलोड नाव पर सफर करने को लोग मजबूर

Update: 2023-07-07 11:27 GMT
गंगा में ओवरलोड नाव पर सफर करने को मजबूर लोग जब हादसे का शिकार होते हैं, तो शुरुआत में प्रशासन सख्ती दिखाता है, लेकिन सब कुछ हकीकत के परे होता है. इस हकीकत में लापरवाही है, मनमानी है, अनदेखी है और आशंका है. नाव पर रेलमरेल भीड़ ने कई बार हादसों से लोगों का सामना कराया है, लेकिन हर हादसे के बाद सबक लेने की बजाय लोगों ने सच से सामना करना बंद कर दिया है. सोचिए भारी भरकम सामान, कार, बाइक, ऊपर से भारी संख्या में लोग. ऐसे ही एक नाव पर सवार होकर गंगा की लहरों से खेलेंगे, तो नतीजा क्या होगा. एक जरा सी चूक लोगों की जान जा सकती है.
 गंगा में ओवरलोड नाव पर सफर करने को मजबूर लोग
ओवरलोडेड इस नाव की सवारी से पहले सुध कौन लेगा? गंगा में अबतक हुए नाव हादसों से सबक कौन लेगा? सच से सामना कौन करेगा? क्योंकि ये जिंदगी आपकी है और आपकी इस जिंदगी पर निर्भर कई लोग करते हैं. सवाल का जवाब नहीं मिला ना, नाविक भी अपनी मनमानी कर रहे हैं और नाव पर उसकी क्षमता से ज्यादा भार डाल रहे हैं. लाइफलाइन पीपा पुल से आना जाना फिलहाल बंद है.
गंगा का पानी बढ़ने से खोला गया पीपा पुल
गंगा में उफान की वजह से पीपा पुल से आना-जाना बंद कर दिया गया है. उस गंगा की लहरों का सामना इस ओवरलोडेड नाव पर बैठकर कर सकेंगे क्या और जवाब अगर ढूंढ नहीं पाये, तो वो मनेर का वो मंजर याद कर लीजिएगा. जब अपनों की तलाश में लोग घाट-घाट भटक रहे थे. अंधेरे में अपनों की तलाश कर रहे थे. हफ्ते भर पहले गंगा की लहरों से जान बचाने की जद्दोजहद करते लोगों को माना कि मजबूरी है. पीपा पुल बंद करने से कई क्षेत्रों का पटना से संपर्क टूट गया है. वैसे भी पटना से संपर्क का लाइफलाइन पीपा पुल 6 महीने का ही होता है. बाकी के छह महीने राघोपुर के लोगों को नाव की सवारी करनी पड़ती है.
दियारा के सात पंचायतों का संपर्क टूटा
पीपा पुल खुलने से शहर से संपर्क टूटा
आवागमन के लिए नाव ही लोगों का सहारा
पुल खुलने से लाखों की आबादी प्रभावित
गंगा में एक घंटे में तीन किलोमीटर की यात्रा
नाविकों को भी इंतजार शायद गंगा के उफान पर ही आने का होता है. गंगा के उफान के बीच कमाई का जरिया बढ़ जाता है. नाविक मनमानी पर उतर आते हैं और राजधानी सहित जिला मुख्यालय हाजीपुर से संपर्क टूटने से दियारावासी नाविकों की मनमानी के आगे बेबस हो जाते हैं. दियारावासी की बेबसी को पुलिस बड़े आराम से देखते हुए आंखें बंद कर लेते हैं. नाविक की मनमानी और दियारावासी की बेबसी के बीच सच्चाई ये भी है कि कई बार ऐसे ओवरलोडेड नाव ने कई घरों में मातम ला दिया है. बिहार में नाव हादसों में कई लोगों की जान गई है.
बीते कई सालों का आंकड़ा
2017: पटना में नाव डूबने से 24 लोगों की मौत
2018: भागलपुर में नाव डूबने से 8 लोगों की मौत
2019: खगड़िया में नाव पलटने से 9 की मौत
2020: गोपालगंज में नाव डूबने से 9 की मौत
2021: मोतिहारी में नाव पलटने से 6 की मौत
2022: कटिहार में नाव पलटने से 7 की मौत
Tags:    

Similar News

-->