बिहार में मानसून लोगों पर कहर बनकर बरस रहा है. भारी बारिश से नदियां उफान पर है और नदियों ने घरों को निगलना शुरू कर दिया है. बात करें पूर्णिया के काजल भसवा टोली गांव की, जहां महानंदा नदी ने अब तक 300 से ज्यादा घरों को निगल लिया. बरसात का मौसम आते ही लोगों की आशियाने उजड़ने लगते हैं. लोग बड़ी मेहनत से जिंदगी भर कमाकर अपने सपनों का घर बनाते हैं. बड़ी बेसब्री से आशियाने को जिन्दगी का मंदिर समझकर रहते हैं, लेकिन हर साल लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर जाते हैं. लोग त्राहीमाम-त्राहीमाम हो जाते हैं.
महानंदा नदी ने बरपाया कहर
लागातार नेपाल की तराई सहित बिहार बंगाल की सीमा क्षेत्रों में बारिश होने से महानंदा, कनकैई और परमान सहित अन्य नदियों के बढ़ते व घटने से लागातार अनुमंडल क्षेत्रों में नदी कटाव जारी है. बता दें कि पूर्णिया जिले के बायसी प्रखंड के सुगमहानंदपुर पंचायत अंतर्गत वार्ड संख्या 12 काजल भसवा टोली गांव में महानंदा नदी में 14 घर कटकर विलिन हो चुके हैं. लगभग अब 15-20 घरों में कटाव का खतरा मंडरा रहा है.
बाढ़ की आगोश में समा गया गांव
नदी के कटाव से भसवा टोली गांव का अस्तित्व खतरे में है. तीन साल से लगातार महानंदा नदी का कहर जारी है. लोगों के घर और खेती की जमीन नदी में समा चुकी है. प्रशासन को कोई होश नहीं है या यूं कहें कि प्रशासन भी अब बस गांव के अस्तित्व के खत्म होने का इंतजार कर रहा है.
क्या कहते हैं मुखिया प्रतिनिधि
इस मामले में मुखिया प्रतिनिधि, राशिद रेजा ने बताया कि लागातार तीन चार सालों से लागातार नदी कटाव हो रहा है. मेरे पंचायत में पिछले वर्ष 100 घर नदी में कटकर विलिन हो गया, लेकिन प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि अबतक कोई झांकने तक नहीं आया है. मैंने मनरेगा तहत इस्टमिट छोटा से छोटा इस्टमिट चार से पांच जगह का तैयार किया था. जिसमें 36 लाख का इस्टिमट तैयार किया गया. इस मामले में 8 अप्रैल, 2023 को बाढ़ नियंत्रण व जल निस्सरण पूर्णिया को आवेदन दिया है. जिलाधिकारी और डीडीसी से भी मिले थे. जिलाधिकारी व डीडीसी ने अश्वासन दिया कि इस कार्य को विभाग द्वारा किया जाएगा. वहीं, समय रहते भी विभाग द्वारा काम नहीं किया गया है. ये लापरवाही किसकी है.