बिहार : ब्लड बैंक में अव्यवस्थाओं का अंबार, तीन महीने पहले ही तेजस्वी यादव ने दी थी सौगात
सुपौल जिले को तीन महीने पहले डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने ब्लड बैंक की सौगात दी थी, लेकिन ब्लड बैंक के उद्घाटन के बाद से यहां अव्यवस्थाओं का अंबार है. न तो कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति हुई है और न ही जरूरी धनराशि मुहैया कराई गई है. जिसके चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सुपौल में तीन महीने पहले सूबे के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने ब्लड बैंक का उद्घाटन किया था. उम्मीद थी स्वास्थ्य मंत्री के इस तोहफे के बाद सुपौल समेत आसपास के जिलों के मरीजों को सहूलियत मिलेगी और खून न मिलने के कारण किसी मरीज की जान नहीं जाएगी, लेकिन ब्लड बैंक के उद्घाटन के तीन महीने बीत गए. तीन महीने तक को ब्लड बैंक आईडी का इंतजार करता रहा है. अब आईडी मिली तो कंप्यूटर और ऑपरेटर के अभाव में डोनर कार्ड नहीं बन पा रहा है. जरूरी स्टाफ न होने के चलते ब्लड डोनेट करने और यहां से ब्लड लेने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
ब्लड बैंक में अव्यवस्थाएं
14 जून को ब्लड बैंक का उद्घाटन हुआ था.
डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने ब्लड बैंक का उद्घाटन किया था.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री ने उद्घाटन किया था.
3 महीने तक यह ब्लड बैंक महज एक आईडी का इंतजार करता रहा.
एक काउंसलर को छोड़कर कोई भी स्थाई कर्मी उपलब्ध नहीं है.
ब्लड बैंक में एक मेडिकल ऑफिसर, 4 जीएनएम के पद खाली हैं.
एक काउंसलर, एक नोडल ऑफिसर का पद है.
5 लैब टेक्नीशियन और एक डाटा ऑपरेटर का पद सृजित है.
ब्लड बैंक से जुड़े सारे कामकाज ऑफलाइन मोड पर ही चल रहे हैं.
ऑफलाइन मोड यहां आने वाले लोगों के लिए परेशानियों का सबब बना है.
संसाधनों की कमी से जूझ रहा ब्लड बैंक
हालांकि लंबी जद्दोजहद के बाद बीते 27 सितंबर को ब्लड बैंक की आईडी जेनरेट कर दी गई है, लेकिन अभी भी कंप्यूटर और ऑपरेटर की व्यवस्था नहीं है. लिहाजा यहां ब्लड डोनेट करने वाले लोगों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है. साथ ही उनका कार्ड भी नहीं बन पा रहा है. वहीं, डोनर कार्ड लेकर पहुंचने वाले जरूरतमंदों को भी सुपौल ब्लड बैंक से ब्लड की उपलब्धता नहीं हो पा रही है.
ना कर्मचारियों की तैनाती, ना ही धनराशि का भुगतान
ये ब्लड बैंक धनराशि के आवंटन के अभाव से भी जूझ रहा है. दरअसल, ब्लड बैंक को सुसज्जित करने के लिए राज्य सरकार से करीब दो लाख रुपए की मांग की गई थी, लेकिन इसका भुगतान अब तक नहीं हो पाया है. इसके अलावा जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से ब्लड बैंक को प्रतिमाह 10 हजार रुपए और प्रति यूनिट ब्लड के लिए 300 रुपए की दर से भुगतान किया जाना है, लेकिन ब्लड बैंक की स्थापना के बाद से ही ना तो सरकार और ना ही जिला स्वास्थ्य समिति ने कोई भी राशि उपलब्ध कराई है. ब्लड बैंक के प्रभारी बंधुनाथ झा ने बताया कि इस राशि का प्रयोग ब्लड बैंक के लिए जरूरी सामान क्रय में किया जाना है, लेकिन भुगतान नहीं होने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिन उम्मीदों के साथ स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने तीन महीनें पहले इस ब्लड बैंक की सौगात दी थी. उन उम्मीदों पर फिलहाल अभी ये ब्लड बैंक खरा उतरता नहीं दिख रहा है. वजह है कर्मचारियों की कमी और धन का अभाव. फिलहाल अब देखना है कि इन अव्यवस्थाओं से इस ब्लड बैंक को कब नितात मिलेगी.