बिहार : 33 वर्षों से बिहार में बनते आ रहे हैं पिछड़ी जाति के CM, विकास को लेकर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने
बिहार में 33 वर्षों से पिछड़े जाति के मुख्यमंत्री बनते आ रहे हैं. चाहे वह लालू प्रसाद यादव हो, राबड़ी देवी या नीतीश कुमार. फिर भी बिहार सरकार को जाति आधारित गणना करना पड़ा ताकि पिछड़ों का विकास हो सके, तो वहीं बीजेपी ने नीतीश लालू पर निशाना साधते हुए जाति आधारित गणना को अंतिम दाव बताया, लेकिन क्या 33 वर्षों में पिछड़ों का विकास नहीं हो सकता था. आइए जानते हैं. एक तरफ बिहार में जाति आधारित गणना का आंकड़ा सार्वजनिक किया गया और इसे ऐतिहासिक बताते हुए बिहार सरकार पिछड़ों की विकास की बात कह रही है. वहीं, भाजपा ने बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह नीतीश कुमार और लालू यादव का अंतिम दाव है.
33 वर्षों से पिछड़ी जातियों का नहीं हो सका विकास
अगर यह लोग पिछड़ों का विकास करना चाहते तो 33 वर्षों में पिछड़ों का विकास हो सकता था, लेकिन यह लोग बस सता का मलाई खाने में रह गए. आज अगर पिछड़ों का विकास कोई करेगा तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की सरकार बिहार के लोग आज भी पलायन कर रहे हैं. दूसरे राज्यों में जाकर काम कर रहे हैं, जो पिछड़े समाज से आते हैं. नीतीश कुमार और लालू यादव ने बिहार को कभी आगे बढ़ने दिया ही नहीं. यही कारण है कि आज बिहार परिवर्तन की ओर बढ़ चुका है और भाजपा की सरकार में बिहार के हर समाज का विकास करेगी.
नीतीश कुमार ने विकास को दी रफ्तार
वहीं, 33 वर्षों के विकास के सवाल पर जदयू एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार का बहुत विकास किया है. पिछड़ों को आगे बढ़ाने का काम नीतीश कुमार ने किया है. आज जब बिहार में जाति आधारित गन्ना हुआ है, तो यह इसलिए हुआ है ताकि हर समाज का विकास हो सके. पिछले 33 वर्षों में बिहार के विकास को लगातार गति देने का काम नीतीश कुमार ने किया है. लालू यादव ने पिछड़ों को आवाज दी उन्हें अपने हक के लिए लड़ना सिखाया और अब जब बिहार ने इतना बड़ा ऐतिहासिक काम किया है जाति आधारित गणना कराकर उससे और ज्यादा पिछड़ों का विकास होगा.
बिहार सरकार के काम को राजद विधायक ने बताया ऐतिहासिक
राजद विधायक रणविजय साहू ने कहा कि बिहार सरकार ने एक ऐतिहासिक काम किया है. जिस तरीके से जाति आधारित गणना हुआ है, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नेतृत्व में यह एक ऐतिहासिक काम हुआ है. इसे हर समाज के लोगों का विकास हो सकेगा. बिहार सरकार के योजनाएं में इनकी भागीदारी रहेगा और पिछले 33 वर्षों में पिछड़ों का हर तरह से विकास हुआ है. लालू यादव, राबड़ी देवी, ने पिछड़े समाज के लिए हर समय लड़ाई लड़ी है. उनके विकास के लिए हर वह प्रयास लालू यादव ने किया है और अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 17 वर्षों से कर रहे हैं. आने वाले समय में बिहार के पिछड़ी जातियों का विकास तेजी से हो सकेगा क्योंकि उनकी आबादी सबसे ज्यादा है. इसलिए यह जाति आधारित गणना कराया गया है. अब कोई भी बिहार सरकार के विकास योजना से वंचित नहीं रहेगा, सभी का एक समान विकास होगा और पिछले 33 वर्षों में लगातार पिछड़ों का विकास नीतीश कुमार और लालू यादव के नेतृत्व में होते रहा है.
एक तरफ बिहार सरकार का यह दावा है कि पिछली जातियों का जातीय आधारित गणना के आधार पर विकास होगा, तो वहीं भाजपा ने नीतीश लालू का यह अंतिम दाव बताया. क्या बिहार में आज भी जाति के नाम पर राजनीति की जाती है? क्या जाति आधारित गणना आने वाले चुनाव में बड़ा मुद्दा बनेगा? क्या बिहार सरकार का जो दावा है कि पिछड़ों का विकास इस आंकड़े के आधार पर किया जाएगा?