
जनता से रिश्ता : ड्रग इंस्पेक्टर के पटना सिटी के सुलतानगंज स्थित आवास की तलाशी के लिए निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की 14 सदस्यीय टीम को वहां भेजा गया था। सूत्रों के मुताबिक टीम ने तय समय पर वहां धावा भी बोल दिया। पर मकान काफी बड़ा था और उसके एक दो नहीं बल्कि कई कमरे थे। छापेमारी में शामिल अफसरों का सामना जितेन्द्र कुमार से तो नहीं हुआ पर उनकी पत्नी और भाई ने टीम को भरमाने की पूरी कोशिश की। जब भी टीम किसी कमरे की तरफ बढ़ने की कोशिश करती उसे दूसरे का बता दिया जाता। अधिकारी असमंजस में पड़ गए कि कहां और किस कमरे से तलाशी शुरू करें। तभी टीम में शामिल एक अफसर की नजर 6-7 साल के एक बच्चे पर पड़ी। बच्चे से जैसे ही पूछा गया, जितेन्द्र कुमार के कमरे की सच्चाई सामने आ गई।
अधिकारियों के मुताबिक जितेन्द्र कुमार का कमरा बताने में जिस तरह घरवालों ने आनाकानी की वैसे में जरा सी चूक होती तो नोटों से भरे एयरबैग गायब किए जा सकते थे। यदि घर के दूसरे कमरों से तलाशी होती तो, दीवान और अलमीरा में रखे इन एयरबैग को वहां से हटाया जा सकता था। घर की बनावट और अगल-बगल के मकान एक-दूसरे से सटे होने के चलते इसकी संभावना बहुत ज्यादा थी।
पर अधिकारियों की सूझबूझ से ऐसा नहीं हो पाया। तलाशी शुरू होने के बाद मकान के कमरों को खंगालने के लिए 14 अधिकारियों व जवानों की टीम छोटी पड़ रही थी, जिसे देखते हुए 6 अन्य कर्मियों को वहां लगाना पड़ा। इसके बाद भी तलाशी का कार्य देर रात तक चला।
सोर्स-hindustan