नीतीश के करीबी मंत्री का बड़ा दावा, बिहार जाति जनगणना रिपोर्ट से पीएम मोदी फंस गए, जानिए पूरी बात
बिहार जाति जनगणना रिपोर्ट से पीएम मोदी फंस गए, जानिए पूरी बात
बिहार सरकार ने जाति-वार जनगणना के आंकड़े जारी किए हैं और इसके साथ ही ओबीसी/अति पिछड़ा वर्ग की राजनीति और प्रतिनिधित्व पर बहस फिर से शुरू हो गई है। एक बात तो तय है कि जाति जनगणना का लोकसभा चुनाव में सीटों पर असर होगा या नहीं, लेकिन चुनाव प्रचार में यह एक अहम मुद्दा जरूर बनने जा रहा है. कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दल केंद्र सरकार से जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं. केंद्र सरकार पर बढ़ेगा दबाव महिला आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस, राजद और अन्य विपक्षी दलों ने कोटे के भीतर कोटा देने की मांग की थी. वैसे तो जाति जनगणना एक ऐसा शब्द है जिसे अगले लोकसभा चुनाव तक राजनीतिक मंचों से बार-बार उछाला जाता रहेगा।
जाति जनगणना रिपोर्ट जारी होने के साथ ही जाति आधारित राजनीति की हवा फिर तेज होने वाली है. आंकड़े जारी होते ही राजद सुप्रीमो ने कहा है कि अब समय आ गया है कि आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व लाने के लिए सही नीतियां लागू की जाएं. देशभर में विपक्षी गठबंधन को घेरने के मामले में भी नीतीश कुमार ने बढ़त बना ली है. ऐसे में देखना होगा कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी इसका क्या रास्ता निकालते हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए क्या रणनीति अपनाते हैं.
जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की मांग की जायेगी
ओबीसी और दलित नेता लंबे समय से आबादी के अनुपात में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. अब बिहार के पास जातिवार जनगणना के आंकड़े हैं और इस मांग को ठोस आधार भी मिल गया है. राज्य में ऊंची जाति की आबादी 15 फीसदी से कुछ ज्यादा है. वहीं ओबीसी और अन्य पिछड़ा वर्ग कुल आबादी का 63 फीसदी है. अब आरक्षण की मांग और आबादी के हिसाब से आरक्षण बढ़ाने की मांग जोर पकड़ सकती है. संख्या बल के लिहाज से भी यह एक बड़ा वोट बैंक है और इसे काटना बीजेपी के लिए काफी मुश्किल हो सकता है.
क्या मोदी सरकार के लिए होगी मुश्किल?
जाति जनगणना रिपोर्ट जारी होने के बाद बीजेपी ने प्रतिक्रिया दी है. बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि हमने हमेशा सर्वे का समर्थन किया है लेकिन यह रिपोर्ट आधी-अधूरी है. रिपोर्ट के जरिए बीजेपी ने नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा है. अब सवाल ये है कि 2024 के चुनाव और ओबीसी के बड़े वोट बैंक को देखते हुए बीजेपी और केंद्र सरकार का क्या रुख है. बहरहाल, लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल गया है.
ये है बिहार में जातिवार आंकड़े
जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.13 फीसदी, अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 फीसदी और सामान्य वर्ग की आबादी 15.52 फीसदी है. इसके मुताबिक बिहार की आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है. वोटों के गणित के मुताबिक ब्राह्मण 3.6575% (4781280), राजपूत 3.4505% (4510733), कायस्थ 0.6011% (785771), कुर्मी 2.8785% (3762969), कुशवाह 4.2120% (5506113), तेली 2.8131% (3677491), भूमिहार 2.8693% (3750886) है। मुस्लिम आबादी 17.7% और यादव आबादी 14% है. वोटों के गणित के मुताबिक बिहार में इसे MY (मुस्लिम+यादव) समीकरण कहा जाता है जिसके दम पर लालू यादव लंबे समय तक चुनावी राजनीति में सफल रहे.