Bhagalpur: जमीन के अभाव में गरीबों का पक्का मकान बनने पर आफत
इन भूमिहीन परिवारों की जिंदगी दयनीय बनी हुई है.
भागलपुर: बसने के लिए अपनी जमीन नहीं रहने के कारण हजारों परिवार आज भी पक्का मकान के लिए तरस रहे हैं. इन भूमिहीन परिवारों की जिंदगी दयनीय बनी हुई है.
कहीं सड़क की जमीन पर तो कहीं बांध की जमीन पर ऐसे परिवार आज भी खानाबदोश की जिंदगी काटने को विवश हैं. बरसात के दिनों इन परिवारों की परेशानी और अधिक बढ़ जाती है. बछवाड़ा प्रखंड के आलमपुर नवटोलिया के समीप एनएच- 28 के किनारे गड्ढे में झुग्गी- झोपड़ियां बनाकर बसे रोहित साह, प्रकाश महतो, पिंकी देवी, कविता देवी, नेपाली यादव, संतोष कुमार, गोपाल यादव आदि लोगों ने बताया कि उनके पूर्वज वर्ष 1971 में ही गंगा के कटाव के कारण विशनपुर दियारा क्षेत्र से विस्थापित होकर यहां बसे थे. तब से आज तक उन्हें पुनर्वासित नहीं किया जा सका है.
कालांतर में यहां बसे कटाव पीड़ित परिवारों की संख्या करीब 50 पर पहुंच चुकी है. कटाव पीड़ितों ने बताया कि उन्हें सरकारी तौर पर जमीन खरीदने के लिए दी जाने वाली रकम नाकाफी है. इतनी कम रकम में वास की जमीन खरीदने में वे असमर्थ हैं. कटाव पीड़ितों ने कहा कि वास की जमीन के अभाव में उन्हें पीएम आवास व अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है. इधर, चमथा रजौली बांध, रानी- तीन पंचायत के एनएच- 28 के किनारे करीब 300 से अधिक कटाव से विस्थापित परिवार पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं. दिन-ब-दिन कटाव से विस्थापित इन परिवारों की आबादी बढ़ रही है. कटाव से विस्थापित ये परिवार कई जगह गुप्ता बांध पर भी झुग्गी-झोपड़ी बना अपना गुजर- बसर कर रहे हैं.
कटाव पीड़ितों ने बताया कि वे पशुपालन व खेतों में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण- पोषण करते हैं. बरसात के मौसम में उन्हें दिहाड़ी काम मिलने पर भी आफत की स्थिति रहती है. बारिश के दौरान खुले आसमान के नीचे ठनका की चपेट में आने का भी खतरा मंडरा रहा है. झुग्गी- झोपड़ियों में अपने बाल- बच्चों के साथ भय के साए में जिंदगी काटने की नौबत है.