मोतिहारी। बिहार के किसान खासकर चंपारण के किसानो के लिए गन्ना एक मुख्य नकदी फसल है।हालांकि कालांतर में उपेक्षा का शिकार होने के कारण इस क्षेत्र में कई चीनी मिल बंद होने के कारण किसान गन्ना के खेती से मुंह मोड़ने लगे।फिर भी चंपारण परिक्षेत्र में अब भी गन्ना की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है।ऐसे में गन्ना के अधिक पैदावार के लिए हिन्दुस्थान समाचार ने जिले के परसौनी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा विशेषज्ञ आशीष राय से बात की तो उन्होने बताया कि गन्ना चीनी के साथ गुड़ उत्पादन का मुख्य स्रोत है। विश्व स्तर पर गन्ने की खेती लगभग 20.10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है,जिसका उत्पादन लगभग 1,318 मिलियन टन के आसपास है और उत्पादकता 65.5 टन प्रति हेक्टेयर है।भारत दुनिया का दुसरा बड़ा चीनी उत्पादक देश है।साथ ही गन्ने की उपज के मामले में भी इसे दूसरा स्थान प्राप्त है।भारत में गन्ने की फसल की अनुमानित उत्पादकता 77.6 टन प्रति हेक्टेयर है तथा उत्पादन लगभग 306 मिलियन टन है,तो वही ब्राजील में 758 मिलियन है।
उन्होने बताया कि यहां की मिट्टी खासकर गंगा और गंडक के मैदानी भाग गन्ने की खेती के काफी अनुकूल है। ऐसे में यहां के किसान गन्ना की उन्नत कृषि क्रियाओं को अपनाकर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
-गन्ना की रोपाई
गन्ना की रोपाई दो समय में की जाती है।जिसमे शरद कालीन रोपाई का समय सितंबर से अक्टूबर तक वही बसंत कालीन रोपाई मध्य फरवरी से मार्च के अंत तक की जा सकती है।
-बीज की मात्रा
गन्ना के बेहतर उत्पादन के लिए 35-45 क्विंटल गन्ना बीज प्रति एकड़ की रोपाई के लिए इस्तेमाल करनी चाहिए।
-बीज को करे उपचारित
रोपाई से पहले गन्ने के बीज के पोरियों को कार्बेंडाजिम के घोल में 5 मिनट तक डुबोकर उपचार करें इसके लिए 100 ग्राम कार्बेंडाजिम को 100 लीटर पानी में घोलकर 35 क्विंटल गन्ना बीज को उपचारित करे
-खेत की कैसे करे तैयारी
खेत की तैयारी इस प्रकार की जाए कि मिट्टी भुरभुरी हो जाए और खेत में ढेले बिल्कुल ना रहें।
साथ ही पर्याप्त मात्रा गाय या अन्य मवेशी के सड़ी गोबर का खाद के रूप में प्रयोग करे।रोपाई के लिए 2-2.5 फुट पर नाली बनाएं। यदि गन्ना फसल के साथ अन्तरवरतीय फसलें लेनी हो तो रोपाई 3-4 फुट पर करें।
-खाद कितनी कब और कैसे डाले गन्ना ही नही किसी फसल के लिए मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए।इससे किसान आवश्यकता और मिट्टी की मांग के अनुरूप खाद डालकर अनावश्यक लागत में बचत कर सकते है।बसंतकालीन गन्ना फसल के लिए सामान्य तौर 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलो फास्फोरस तथा 20 किलो पोटाश प्रति एकड़ प्रयोग कर सकते हैं। बसंत कालीन फसल में पूरा फास्फोरस, पूरा पोटाश व 1/3 नाइट्रोजन रोपाई के समय नालो में डाले साथ ही 1/3 नाइट्रोजन दूसरी तथा 1/3 नाइट्रोजन चौथी सिंचाई के साथ डालें।रोपनी के 7-10 दिन बाद खेत में सोहनी कर सुहागा का प्रयोग कर सकते हैं।ज्यादा खरपतवार की स्थिति मे 2-3 बार सोहनी कर सकते है।अगर गन्ने के खेत में मोथा, दूब, संकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले घास एवं खरपतवार हैं तो इनकी रोकथाम के लिए एट्राजीन 50% (घुलनशील पाउडर) 1.6 किलोग्राम मात्रा को प्रति एकड़ 250-300 लीटर पानी में घोलकर रोपाई के तुरंत बाद छिड़काव कर सकते हैं। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए 1 किलो 2-4 डी 80% सोडियम नमक 250 लीटर पानी मे रोपाई के 60-60 दिन बाद प्रति एकड़ स्प्रे कर सकते हैं।
-सिंचाई
गन्ने की अधिक पैदावार के लिए पर्याप्त सिंचाई की आवश्यकता होती है।पहली सिंचाई रोपाई के 3 सप्ताह बाद करें। इसके अलावा मानसून से पहले हर 10-12 दिन के अंतराल पर और मॉनसून के बाद और 20-25 दिन के अंतराल पर फसल में सिंचाई कर सकते हैं। आमतौर पर बसंतकालीन गन्ने की खेती में लगभग 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है। चार सिंचाई बारिश से पहले तक और दो सिंचाई बारिश के बाद करनी चाहिए।हालांकि नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में बरसात के पहले 2-3 सिंचाई पर्याप्त होती है और बरसात में सिर्फ 1 सिंचाई पर्याप्त होती है।
-मिट्टी चढ़ाना
गन्ने की फसल में मई के महीने तक यानी मानसून शुरू होने से पहले मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए।साथ गन्ने की फसल को गिरने से बचाने के लिए दो बार गहरी खोदाई के साथ पौधों के दोनो ओर पर्याप्त मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए।इस काम को अप्रैल-मई तक हर हाल पूरा कर लेना चाहिए,क्योंकि इस समय में वायु संचार,नमी धारण करने की क्षमता, खरपतवार नियंत्रण और कल्ले विकास में प्रोत्साहन मिलता है।
-गन्ना की बंधाई
अगस्त एवं सितंबर के महीने में गन्ने को गिरने से बचाने के लिए बाँधना जरूरी होता है।इससे हानिकारक कीड़ों की रोकथाम में भी मदद मिलती है।साथ ही जून माह के अंतिम सप्ताह से जुलाई माह के पहले सप्ताह में पेटी बेधक के लिए कार्बोप्यूरान गूड़ों में डालकर सिंचाई करें।आमतौर पर अगस्त माह में गन्ना में जड़ बेधक समस्या दिखाई देता है तो ऐसे में क्लोरपायरीफास 2 लीटर प्रति एकड़ 350-400 लीटर पानी में घोलकर सिंचाई के साथ प्रयोग कर सकते हैं।