बीएयू के तैयार नैनो रॉक फॉस्फेट को मिला 20 साल के लिए पेटेंट

Update: 2023-07-05 12:12 GMT

मुंगेर न्यूज़: बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर, बिहार के मृदा वैज्ञानिकों के विकसित नैनो रॉक फॉस्फेट फार्मूलेशन को भारत सरकार से पेटेंट प्रदान किया गया है. यह पेटेंट सितंबर 2020 से अगले 20 साल के लिए दिया गया है.

टीम की इस उपलब्धि पर बीएयू सबौर के कुलपति डॉ. दुनिया राम सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए पूरी टीम को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय के साथ-साथ मृदा विज्ञान के क्षेत्र में भी एक उत्कृष्ट उपलब्धि है. इस पद्धति को सरकार द्वारा पेटेंट दिए से राज्य और पूरे देश के कृषकों को फास्फोरस का एक नया विकल्प मिलेगा. ये सूचना बीएयू सबौर के के पीआरओ डॉ राजेश कुमार ने दी. उन्होंने बताया कि बीएयू के वैज्ञानिकों के विस्तृत शोध कार्य के बाद धान व गेंहू के फसलों में फास्फोरस के ग्रहण करने पर इसका प्रभाव देखा गया. उन्होंने बताया कि मिट्टी में फास्फोरस की कमी एक बड़ी चुनौती है. देश के अधिकांश क्षेत्रों के मिट्टी में फास्फोरस की कमी को दूर करने में नैनो फास्फोरस उर्वरक मील का पत्थर साबित हो सकता है.

यह नैनो उर्वरक सभी प्रमुख फसलों में फास्फोरस की कमी को दूर करेगा. फसलों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए नैनो टेक्नोलॉजी एक कारगर साधन के रूप में विकसित होगा. साथ ही यह पहले से उपलब्ध पारंपरिक फास्फोरस उर्वरकों के विकल्प के रूप में प्रयोग किया जा सकेगा. जिससे कि बाजार में उर्वरकों की कमी से निजात पाने में मदद मिलेगी. इसे विकसित करने वाले वैज्ञानिकों के टीम में सहायक प्राध्यापक (मृदा विज्ञान) डॉ. कस्तूरिका सेन बेउरा, डॉ. अमित कुमार प्रधान, डॉ. निन्टू मंडल एवं राजीव पदभूषण शामिल हैं. वैज्ञानिकों की इस टीम ने प्रमुख अनाज फसल जैसे, धान और गेंहू में इसका परिक्षण किया एवं लंबे शोध के बाद विभिन्न तकनीकों की एक श्रृंखला से नैनो रॉक फॉस्फेट फार्मूलेशन तैयार करने में सफलता पायी. मिट्टी में इस फार्मूलेशन के उपयोग करने पर 20 से 25 प्रतिशत एवं पौधों पर छिड़काव करने पर 45 से 50 प्रतिशत तक फास्फोरस की कमी को दूर किया जा सकता है.

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