बिहार: रक्षाबंधन का त्योहार हर किसी के लिए काफी खास होता है. भाई-बहन के प्यार के प्रतीक यह पर्व नजदीक भी आ रहा है. हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताते है जो भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है. इस अनोखे मंदिर में बहने अपने भाइयों की खुशहाली, तरक्की और सलामती के लिए पूजा करती है. इस ऐतिहासिक जगह पर भाई-बहन माथा टेकने आते हैं और अपने रिश्ते की सलामती के लिए मन्नत मांगते हैं. यह अनोखा मंदिर बिहार के सीवान जिले के भीखाबांध गांव में है. इसका नाम है भैया-बहिनी मंदिर.
इस मंदिर में भगवान की मूर्ति की जगह मिट्टी का पिंड है. स्थानीय लोग इसे भाई-बहन का प्रतीक मानते हैं. मंदिर के बाहर सालों पुराना विशाल बरगद का पेड़ भी है. इन पेड़ों की पूजा बहनें करती हैं और भाइयों की लंबी उम्र, सलामती और उन्नती की कामना करती हैं.
मंदिर से जुड़ी है अनोखी मान्यता
भाई-बहन के प्यार का प्रतीक सीवान का भैया-बहिनी मंदिर अपने में एक बड़ा अनोखा इतिहास समेटे हुए है. यहां रक्षाबंधन के अवसर पर मेले का भी आयोजन किया जाता है. बरगद के पेड़ के नीच बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं. स्थानीय लोगों में मान्यता है कि अंग्रेजों के जमाने में एक भाई अपने बहन को रक्षाबंधन के कुछ दिन पहले उसके ससुराल से विदा कर डोली पर अपने घर लेकर जा रहा था. इस दौरान कुछ सैनिकों की नजर उन पर पड़ गई. फिर उन्होंने बहन की डोली रुकवाई और बदतमीजी करने लगे.
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सिपाहियों की संख्या ज्यादा थी, इस वजह से भाई अकेला पड़ने लगा, लेकिन उन्होंने अपनी बहन की रक्षा करने के लिए पूरे दम से लड़ाई लड़ी. फिर बहन ने भगवानको पुकारा और दोनों धरती में समा गए. स्थानीय लोगों का कहना है कि भाई और बहन ने जहां समाधि ली वहां बरगद के पेड़ निकले. अब रक्षाबंधन के दिन पहले इस वटवृक्ष की परिक्रम कर पूजा करती हैं और भाइयों को रक्षासूत्र बांधती हैं.