दरभंगा: विदेशी नस्ल की हिंसक व मांसाहारी नस्ल की थाई मांगुर, बिग हेड और पाकु यानी रूपचंदा मछली की बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद जिले के बाजारों में खुलेआम बिक्री हो रही है.
जबकि, बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मत्स्य प्रभाग ने इस संबंध में सख्त निर्देश जारी किए हैं. जिसमें कहा है कि निर्देश की अनदेखी करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. बीज उत्पादन से लेकर पालन व विक्रय तथा परिवहन समेत आयात-निर्यात आदि पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. भारत भर में थाई मांगुर को पालने पर प्रतिबंध है क्योंकि यह अन्य मछलियों को खा जाती है. इससे भारत में मत्स्य पालन प्रभावित हो रहा है. साल 2000 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इसे पालने पर प्रतिबंध लगा दिया था. एक रिसर्च में भारत की मूल मछली की प्रजातियों की आबादी 70 फीसदी तक घटने के लिए इसे जिम्मेदार बताया गया था. इस समस्या से स्थायी निजात के लिए ही बिहार सरकार काफी सख्ती बरत रही है. नए परिप्रेक्ष्य में नए निर्देश जारी कर पूरी तरह से इन मछलियों की बिक्री को रोकने के सजा दिलाने आदि के उपक्रम किए जाएंगे.
कड़ाई के लिए जारी निर्देशों के बाद मांगुर माफियाओं पर नकेल कसी जाएगी. इन प्रतिबंधित मछलियों के पालन व विक्रय पर रोकथाम प्राथमिकता होगी. - मनोरंजन कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी