बिहार | बाबूबरही अंचल ऑफिस स्तर पर विगत तीन सालों में काफी कुछ हुआ. लेकिन काम के लिहाज से उतने समय में अंचल की यह सरकारी ऑफिस क्षेत्र की ढाई लाख की आबादी के हित में महज चंद ही लोगों के काम आया. चूंकि, इसके अधिकारी रसूख वाले सिद्ध हुए. इतने कि बिना भय के वे दूसरे विभाग के अधिकारी से मिलकर खुद के निजी काम पर बेहिसाब सरकारी धन खर्च कएि. अंचल काम में बिजली उपयोग उतना नहीं हुआ, जितना अधिकारी के निजी सुविधा पर हुआ. लेकिन लाखों का खर्च ऑफिस के सरकारी पैसे से भुगतान हुआ. अंचल सीओ अपने वेतन के बजाय ऑफिस के पैसे बिजली बिल के भुगतान पर खर्च किए. सीओ अपने निजी आवास में बिजली से चलने वाले एसी, फ्रीज, कूलर, हीटर आदि सुविधा लिए, लेकिन खर्चे वेतन के बजाय अपने निकासी एवं व्ययन अधिकारी पद के दुरुपयोग से पूरा किया. उनकी तरह उनके किसी दूसरे सीओ ने बिजली सुविधा पर लाखों का खर्च नहीं किया होगा. इस तरह ऑफिस की कोई सुविधा पर सरकारी पैसे खर्च होना है.
ऑफिस के बेहिसाब बिजली बिल भुगतान की ऑफलाइन ऑनलाइन डिटेल अंचल की कैश बुक में दर्ज होने का कोई अता पता नहीं है. दस महीने से उसे यह जानकारी न सीओ से और न बिजली विभाग अफसर से हो रही है. भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के जिला उपाध्यक्ष सत्यनारायण पांडेय ने लोकहित में चिंता जताई है. सरकार का पैसा सरकारी ऑफिस के बजाय अधिकारी के निजी काम पर होता है तो वह अनुचित है. इसके लिए वह हाईकोर्ट तक जाने को तैयार हैं.बिजली बिल के ऑनलाइन ऑफलाइन भुगतान की व्यवस्था है. यह सरकारी ऑफिस स्तर पर भी लागू है. सीओ ऑफिस और आवास में बिजली आपूर्ति के एवज में भुगतान से जुड़ी जानकारी मांगी जाती रही है.
-नंदकिशोर, जेई.
नहीं मिल पाई आपूर्ति के एवज में भुगतान से जुड़ी जानकारी
जिला उपाध्यक्ष विगत दस महीने से अंचल ऑफिस और बिजली विभाग के अफसरों के चक्कर काट रहे हैं. वे विवश होकर सहायक व कार्यपालक अभियंता के साथ अंचल ऑफिस से भुगतान से जुड़े अधिकारी से बिजली बिल की जानकारी मांगते आ रहे हैं.