अरुणाभ सौरभ : भारत का दहकता हुआ इतिहास है हिंदी की लंबी कविताएं

भारत का दहकता हुआ इतिहास है हिंदी की लंबी कविताएं

Update: 2022-07-04 17:20 GMT

बेगूसराय। गणेश दत्त महाविद्यालय (जीडी कॉलेज) हिंदी विभाग के तत्वावधान में सोमवार को हिंदी की लंबी कविता और आद्य नायिका विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए हिंदी एवं मैथिली के ख्यातिलब्ध युवा कवि एवं आलोचक डॉ. अरुणाभ सौरभ ने हिंदी की लंबी कविताओं के इतिहास पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत की विभिन्न भाषाओं और खास कर हिंदी में लंबी कविताओं की मजबूत और पुरानी परंपरा रही है। निराला से सरोज स्मृति और राम की शक्ति पूजा से लेकर राजकमल चौधरी मुक्ति प्रसंग, मुक्ति बोध की अंधेरे में ब्रह्म राक्षस से लेकर आद्य नायिका तक भारत के सांस्कृतिक इतिहास को समेटा गया है। हिंदी की लंबी कविताएं आजादी पूर्व और आजादी बाद के भारत का दहकता हुआ इतिहास हैं। प्रो. कमलेश कुमार ने कहा कवि के रूप में डॉ. अरुणाभ ने जन सरोकार के लक्ष्यों को पूरा करने का काम किया है। इन्होंने आद्य नायिका के बहाने इतिहास में कदम रख कर वर्तमान को आंदोलित करने का काम किया है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. अरमान आनंद ने कहा कि आद्यनायिका एक विशुद्ध सामाजिक-राजनैतिक सरोकारों से जुडी हुई कविता है। डॉ. अभिषेक कुंदन ने कहा कि हिंदी साहित्य में कवियों की भावनाओं एवं विचारों को आधार एवं विस्तार लंबी कविताओं ने ही प्रदान किया है। हिंदी साहित्य में लंबी कविताओं का अपना एक विशेष महत्व रहा है, जिसमें निराला और मुक्तिबोध जैसे कवियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
अध्यक्षता करते हुए प्रो. राम अवधेश कुमार ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम से महाविद्यालय में शैक्षणिक वातावरण का विकास होता है, ऐसे कार्यक्रम होते रहनी चाहिए। इस अवसर पर मुख्य वक्ता अरुणाभ सौरभ और कवयित्री रूपम झा ने हिंदी एवं मैथिली कविताओं का पाठ किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. विपिन कुमार चौधरी ने हिंदी की लंबी कविताओं को महाकाव्य और खण्ड काव्य का आधुनिक रूप बताया। कार्यक्रम में कई विभाग के विभागाध्यक्ष एवं महाविद्यालय के छात्र-छात्रा उपस्थिति थे।

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