परंपरागत विषय से हटकर नए डाइमेंशन से करें शोध: कुलपति प्रो. सुरेन्द्र प्रताप सिंह
मधुबनी न्यूज़: ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि यदि शिक्षक समुचित तरीके से पीएचडी कोर्स वर्क कराएं तो शोधार्थियों के साथ ही उन्हें भी काफी लाभ होगा. शोध पर्यवेक्षक शोधार्थियों से अनेक शीर्षकों पर विचार-विमर्श करें. इसके बाद छात्र की योग्यता एवं रुचि को जानकर ही उनपर शोध कराएं. शोधार्थी परंपरागत विषयों से हटकर नए डाइमेंशन से शोध करें. कुलपति परीक्षा विभाग के तत्वावधान में जुबली हॉल में पीएचडी कोर्स वर्क पर आधारित पूर्व दीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पीएचडी कोर्स वर्क के कई उद्देश्य हैं. वैसे पीजी में भी छात्र शोध संबंधित कुछ बातों की जानकारी प्राप्त करते हैं.
कुलपति ने कहा कि शोधार्थी को पहले से पता होना चाहिए कि उसे क्या करना है और उसे क्या करना चाहिए. शोधार्थियों एवं पर्यवेक्षकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि प्लीगरिज्म कॉपीराइट के अंतर्गत आता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कंप्यूटर की जानकारी सबों के लिए आवश्यक है, क्योंकि अब उन्हें किसी भी विषय पर पीपीटी प्रेजेंटेशन करना पड़ेगा. विश्वविद्यालय में कुलपति तो मात्र तीन वर्षों के लिए आते हैं, पर शिक्षक स्थायी होते हैं. वे सही तर्कों के साथ ऐसी लकीर खींचे जो अमिट हो. कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि इस बार का पीएचडी कोर्स नियमित है, जिसमें संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों एवं पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ गई है. कुलसचिव ने बताया कि विश्वविद्यालय अब तक 9667 शोध-प्रबंधों को स्कैन कर चुका है, जिनमें से 5000 को साइट पर अपलोड भी कर दिया गया है. उन्होंने अन्य विश्वविद्यालयों से शोध करने वाले शिक्षकों से भी आग्रह किया कि वे भी अपने शोध प्रबंधों का पीडीएफ जमा करें, ताकि विश्वविद्यालय अलग से उनके शोध प्रबंधों को भी अपलोड कर सकें. बैठक में सभी संकायों के अध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, स्नातकोत्तर विभागों के शिक्षक व परीक्षा विभाग के कर्मी उपस्थित थे. बैठक का संचालन महाविद्यालय निरीक्षक (कला-वाणिज्य) प्रो. अशोक कुमार मेहता ने एवं धन्यवाद ज्ञापन परीक्षा नियंत्रक डॉ. आनंद मोहन मिश्र ने किया.