लोकसभा चुनाव 2024 होने में अब एक साल से भी कम का समय बचा है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार बहुत पहले से ही विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं. इतना ही नहीं उन्होंने दो दिन पहले अपनी पार्टी के विधायकों और विधान पार्षदों को अपने आवास पर बुलाकर वन टू वन मुलाकात की. अब खबर है कि सीएम नीतीश कुमार अपनी पार्टी के सांसदों को भी बुलाकर अगले तीन दिनों में वन टू वन यानि एक-एक सांसदों से मुलाकात करेंगे. विधायकों के बाद JDU सांसदों से मुलाकात का कार्यक्रम तय किया गया है. सांसदों से सीएम नीतीश की वन टू वन मुलाकात करेंगे. 3 दिनों तक पार्टी सांसदों से मुलाकात का कार्यक्रम चलेगा. सांसदों के क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं पर सीएम नीतीश कुमार बातचीत करेंगो.
सांसदों से मुलाकात के दौरान आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भी सीएम नीतीश कुमार चर्चा करेंगे. इसके अलावा सीएम नीतीश कुमार को जो भी फीडबैक सांसदों द्वारा दी जाएगी उसके मुताबिक, सीएम नीतीश कुमार तेजी से जनहित में विकास कार्यों को करवाएंगे. इससे पहले भी सीएम नीतीश कुमार ने विकास कार्यों में तेजी लाने का दिया था. पार्टी के नेताओं को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने के सीएम नीतीश कुमार द्वारा निर्देश दिए गए थे.
यूपी के फूलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं सीएम नीतीश
विपक्षी दलों की बैठक के बाद बिहार के सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 में सांसदी चुनाव लड़ सकते हैं. सीएम उत्तर प्रदेश के फूलपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि ये सिर्फ अटकलें है जिसपर कोई औपचारिक मुहर नहीं लगी है, लेकिन सवाल उठता है कि अगर ये अटकलें सच साबित हुई तो क्या सीएम नीतीश फूलपुर में बीजेपी के लिए कांटा बन पाएंगे? 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में सियासी सरगर्मी बढ़ती ही जा रही है.
फूलपुर का जातीय समीकरण
फूलपुर संसदीय सीट पर सबसे बड़ी आबादी दलितों की है. जहां दलितों की करीब 18.5 फीसदी आबादी है. इसके बाद पटेल और कुर्मी वोटर हैं. इनकी आबादी 13.36 फीसदी है. मुस्लिम वोटर भी यहां 12.90 फीसदी हैं. इनके अलावा करीब 11.61 फीसदी ब्राह्मण भी प्रयागराज की इस दूसरी लोकसभा क्षेत्र में रहते हैं. वैश्यों की आबादी करीब 5.4 फीसदी है. इनके अलावा कायस्थ करीब 5 फीसदी, राजपूत 4.83 फीसदी, भूमिहार 2.32 फीसदी हैं. कुल मिलाकर सवर्ण वर्ग की आबादी यहां 23 फीसदी है.
इस समीकरण से तो साफ है कि अगर सीएम नीतीश यहां से चुनाव लड़ते हैं तो दलित, कुर्मी और मुस्लिम वोटर्स के भरोसे उनकी चुनावी नैया पार हो सकती है. हालांकि फिलहाल ये सब सिर्फ दावे और कयास मात्र है. 24 के रण में अभी करीब 1 साल का वक्त है. ऐसे में इन एक सालों में कितने कयासों पर मुहर लगती है ये तो वक्त ही बताएगा.