सड़क नगर निगम की, बनाने का प्रशासनिक दबाव आरसीडी पर

Update: 2023-10-02 12:18 GMT
बिहार | सड़क निर्माण को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. शहर के गांधी चौंक से लेकर कौड़ा मैदान तक लगभग 800 मीटर मुख्य सड़क जो नगर निगम के अधीन है. यह सड़क वर्तमान में पेयजलापूर्ति और सीवरेज पाइप लाइन बिछाए जाने के बाद पूरी जर्जर स्थिति में आ गयी है.
इसी सड़क के बीच शादीपुर बड़ी दुर्गा मंदिर स्थित है. यहां दशहरा के समय प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिये पहुंचते हैं. दशहरा पर्व को देखते हुए इस सड़क का पुननिर्माण करते हुए कालीकरण किए जाने का दबाव प्रशासनिक स्तर पर आरसीडी (पथ निर्माण विभाग) पर दिया जा रहा है.
पिछले वर्ष डीएम के आदेश पर आरसीडी ने उक्त पथ का कालीकरण करते हुए पुननिर्माण किया था. उसी का हवाला देकर आरसीडी को पुन उक्त सड़क का कालीकरण करते हुए पुननिर्माण के लिए प्रशासनिक स्तर पर दबाव डाला जा रहा है. हालांकि इस संबंध में कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. लेकिन सूत्रों की मानें तो पिछले 26 नवंबर को डीएम की अध्यक्षता में हुई पथ निर्माण की समीक्षा बैठक में शादीपुर सड़क के संबंध में बुडको के परियोजना प्रबंधक के द्वारा दी गई जानकारी के बाद आरसीडी के कार्यपालक अभियंता को उक्त सड़क के पुननिर्माण के लिए मौखिक रूप से आदेशित किया गया था.
डीएम के मौखिक आदेश के बाद आरसीडी के कार्यपालक अभियंता के साथ बुडको के परियोजना प्रबंधक ने सड़क के पुननिर्माण को लेकर बैठक भी की थी. अब आरसीडी के पदाधिकारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि आखिर उक्त सड़क का पुननिर्माण किस मद की राशि से कराया जाए. आरसीडी के कार्यपालक अभियंता का कहना है कि जबतक सड़क विभागीय स्तर से नगर निगम से हस्तांतरित नहीं हो जाती उक्त सड़क का पुननिर्माण कर पाना संभव नहीं है.
नगर निगम से सड़कों का होता है पीसीसी वर्क
नगर निगम द्वारा सड़क का पुननिर्माण के लिए जो निविदा निकाली जाती है वह पीसीसी वर्क के लिए होता है. नगर निगम के ठेकेदार के पास कालीकरण के लिए प्लांट नहीं रहने के कारण नगर निगम उक्त सड़क का कालीकरण के लिए निविदा नहीं कर सकती है. हालांकि इस संबंध में आरसीडी के पदाधिकारी कहते हैं कि नगर निगम चाहे तो कालीकरण की निविदा निकाल सकती है, संवेदक को कालीकरण का सभी मटेरियल वह उपलब्ध करा देंगे. लेकिन दशहरा में मात्र एक माह से कम का समय है. ऐसे में सड़क निर्माण का दबाव प्रशासनिक स्तर पर बढ़ता जा रहा है.
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