नगर निगम क्षेत्र में लेबर सेस नहीं देने वालों पर होगी कार्रवाई

Update: 2023-03-23 08:16 GMT

रोहतास न्यूज़: नगर निगम क्षेत्र में लेबर सेस नहीं देने वालों पर श्रम विभाग कार्रवाई करेगी. नगर निगम क्षेत्र में धड़ल्ले से निजी मकान निर्माण किया जा रहा है. लेकिन, लेबर सेस की राशि उस अनुपात में जमा नहीं किया जा रहा है. जिस कारण विभाग अब सख्ती बरतने के मूड में है. वहीं पूर्व में भी मकान बनाये गृहस्वामियों से भी लेबर सेस वसूलने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. पहले गृहस्वामियों को नोटिस भेजा जाएगा. नोटिस के बाद लेबर सेस नहीं देने पर जुर्माना के साथ लेबर सेस की राशि वसूली जाएगी.

विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सासाराम नगर निगम क्षेत्र के अलावे जिले में मकानों निर्माण में लगातार वृद्धि हो रही है. लेकिन, उस अनुपात में लेबर सेस की राशि विभाग को प्राप्त नहीं हो रही है. सासाराम नगर निगम क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2022-2023 में 10 लाख 61 हजार 855 रुपए लेबर सेस के तौर पर वसूला गया है. जबकि पूरे जिले में 65 लाख 39 हजार 115 रुपए ही लेबर सेस के तौर पर अब तक प्राप्त है. जिसे देखते हुए श्रम विभाग के साथ स्थानीय नगर निकायों के अधिकारी अभियान चलाने की तैयारी कर रहे हैं. निर्माण करा चुके गृहस्वामियों के साथ नव निर्माण करा रहे लोगों की सूची भी विभाग बना रही है. ताकि उनसे लेबर सेस वसूला जा सके. वहीं विभाग ने कई निजी विद्यालयों के संचालकों को भी नोटिस भेज कर लेबर सेस का भुगतान करने के लिए कहा है. लेबर सेस नहीं देने पर अतिरिक्त दो प्रतिशत प्रतिमाह की दर से ब्याज देना होगा.

पूरे जिले में लेबर सेस वसूलने को लेकर कार्रवाई की जाएगी. नगर निगम सासाराम में भवनों का निर्माण ज्यादा हो रहा है. अधिकांश भवनों का लागत 10 लाख से अधिक है. बावजूद विभाग को उस अनुपात में उपकर प्राप्त नहीं हो रहा है.

चंदन कुमार, जिला श्रम अधीक्षक

एक प्रतिशत देना होता है लेबर सेस

श्रम अधीक्षक ने बताया कि लेबर सेस अधिनियम 1996 में बना था. जो बिहार में 2005 से लागू हुआ. इसके तहत जिले में किसी भी प्रकार के निर्माण के दौरान 10 लाख रुपए से अधिक लागत आने पर लागत की राशि का एक प्रतिशत लेबर सेस के तौर पर देना होता है. लेबर सेस नगर निकायों में नक्शा पास कराने के दौरान भी काट ली जाती है. 2015 के बाद जिन लोगों ने लेबर सेस नहीं दिया है, सभी को नोटिस भेजकर कर की वसूली की जाएगी. इस अधिनियम के तहत सजा का भी प्रावधान है.

जरूरतमंदों के लिए होता है लेबर सेस का उपयोग

इस कर का उपयोग गरीब मजदूरों के कल्याणकारी योजनाओं में किया जाता है. इसके तहत बिहार बिल्डिंग एंड अंदर कंस्ट्रक्शन वर्कर वेलफेयर बोर्ड अंतर्गत निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के दो बच्चे को पढ़ाई के लिए 25 हजार तक की राशि दी जाती है. दो बेटियों की शादी के लिए भी 50 हजार तक दिया जाता है. मजदूर की मृत्यु होने पर दो लाख रूपये और दुर्घटना में मृत्यु होने पर चार लाख की राशि उनके आश्रितों को दी जाती है. आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपए का चिकित्सा बीमा का भी लाभ भी उन्हें प्राप्त होता है. इस सुविधा का लाभ लेने के लिए श्रम विभाग में 30 रुपए सदस्यता शुल्क जमा करना होता है. जो पांच वर्षों के लिए वैध होता है. वही फेरी वाले, सब्जी वाले और कूड़ा कचरा चुनने वाले मजदूर को भी बिहार शताब्दी योजना के तहत मृत्यु होने पर 30 हजार और दुर्घटना में मृत्यु होने पर एक लाख की राशि उनके आश्रितों को दी जाती है. इस योजना के तहत असाध्य रोगियों को भी चिकित्सा के लिए 25 हजार दिए जाते हैं.

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