बिना अनुमति किशोरी को रखने पर थानाध्यक्ष पर होगी कार्रवाई: बाल कल्याण समिति
समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार ने करगहर थानाध्यक्ष से जवाब तलब किया
सिवान: एक गांव की किशोरी को बाल कल्याण समिति ने करगहर पुलिस के हवाले करते हुए उसे वृहद आश्रयगृह नवादा में रखने को सौंपा था. लेकिन, पुलिस ने ऐसा नहीं किया. उल्टे नौ दिनों बाद उसे पेश किया गया तो समिति हैरान रह गई.
अब मामले को गंभीरता से लेते हुए समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार ने करगहर थानाध्यक्ष से जवाब तलब किया है. पूछा है कि 24 मार्च से एक के बीच किशोरी को कहां रखा गया, इस संबंध में जवाब दाखिल करें. जवाब संतोषजनक नहीं होने पर कार्रवाई हो सकती है.
बताया जाता है कि 16 साल की बालिका को 24 मार्च को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया था. परामर्श रिपोर्ट के आधार पर उक्त बालिका को किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार देखरेख और संरक्षण की आवश्कता वाला पाया गया. आवश्यक मेडिकल जांच कराकर उसे वृहद आश्रयगृह नवादा में रखने थानाध्यक्ष करगहर को सुपुर्द किया गया था. पुन दो को बालिका को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया. बताया गया कि बालिका सदर अस्पताल से भाग गयी थी. इस पर समिति का कहना था कि 24 मार्च से एक तक पूरे नौ दिन बालिका कहां रही, इस तथ्य को जानबूझकर छिपाया गया. समिति ने कहा है कि चार को पत्र भेजा गया. जिसमें बताया गया है कि तीन को बालिका का न्यायालय में बयान कराने के बाद उसके पिता को सौंप दिया गया. समिति का कहना था कि दो को समिति का आदेश प्राप्त होने के बाद उसे सीधे वृहद आश्रय गृह ले जाना था. जिसका आपने जानबूझकर उल्लंघन किया.
बिना समिति की अनुमति के उसे अपने पास रखा. अगले दिन न्यायालय में बयान कराया. फिर उसी दिन अपने मन से उसके पिता को सौंप दिया,जो किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 का खुला उल्लंघन है. समिति का कहना है कि अधिनियम की धारा-7 के अनुसार बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी के रूप में नामित होने के कारण आप बाल कल्याण समिति के प्रति सीधे जिम्मेवार हैं. समिति के आदेशों की अवहेलना कर और तथ्य को छिपाकर आपने ऐसा कृत्य किया है, जिससे बालिका की जान खतरे में पड़ सकती है. यह स्थिति सिर्फ आपके मनमानी और आदेश की अवहेलना के कारण उत्पन्न हुई है. बालिका अपहरण की शिकार रही है और इस मामले में केस भी दर्ज है. लेकिन इसकी भी जानकारी नहीं दी गई. ऐसे में चार दिनों के अंदर स्पष्टीकरण का जवाब दें कि क्यों नहीं आपके इस गंभीर कृत्य के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा जाए व अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई प्रारंभ की जाए.