डुमरांव में भूख हड़ताल पर गए कृषि वैज्ञानिक, वैज्ञानिकों एवं शिक्षकों के साथ विश्वविद्यालय में भेदभाव का मामला
वैज्ञानिकों एवं शिक्षकों के साथ विश्वविद्यालय में भेदभाव का मामला
बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर की अंगीभूत इकाई वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय डुमरांव के वैज्ञानिकों एवं शिक्षकों के साथ विश्वविद्यालय भेदभाव बरत रहा है। 15 वर्षों से लंबित प्रोन्नति, पीजी छात्रों का आवंटन के साथ ही शिक्षकों के चयन में विश्वविद्यालय को प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया गया। इतना ही नहीं एकेडमिक काउंसिल में भी इस विद्यालय को तरजीह नहीं दिया गया। इससे आक्रोशित कृषि वैज्ञानिकों एवं शिक्षकों ने कॉलेज परिसर में ही दो दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठ गए।
वैज्ञानिकों का कहना था कि वीर कुंवर सिंह महाविद्यालय डुमरांव विश्वविद्यालय की एक अंगीभूत इकाई है। बावजूद इसके साथ भेदभाव किया जा रहा है। 15 वर्षों से हमालोगों के प्रोन्नति को लटका कर रखा गया है। विश्वविद्यालय द्वारा जो पीजी छात्रों का आवंटन होता है, उसका भी प्रतिनिधित्व करने का इस महाविद्यालय को नहीं दिया गया। वैज्ञानिकों ने विश्वविद्यालय पर सवाल उठाते हुए कहा कि एफडीपी के अंतर्गत शिक्षकों के चयन एवं एकेडेमिक कांउसिल से भी बाहर रखा गया। उसी के विरोध में हमलोग अपने-अपने विभाग में उपस्थिति दर्ज करने के बाद दो दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। भूख हड़ताल पर बैठने वालों शिक्षक संघो के संयोजक डा. शांति भूषण, डा. चंद्रशेखर प्रभाकर, डा. प्रभात कुमार, डा. बिनोद कुमार सिंह, डा. बिरेन्द्र सिंह, डा. उदय कुमार अपनी बात रखते हुए विस्तार से जानकारी दी। वहीं कार्यक्रम को सफल बनाने में डा. धनंजय कुमार सिंह, डा. आनंद कुमार जैन, डा. प्रकाश सिंह, पवन शुक्ला, सुबोध कुमार, ई. विकास कुमार वर्मा, डा. एसआरपी सिंह, डा. रंजीत कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय जल्द-जल्द से हमारी मांगों को पूरा कर, विसंगतियों को दूर किया जाए। शिक्षकों ने यह भी सवाल खड़ा किया की 5 वर्षों तक महाविद्यालय के शिक्षक और वैज्ञानिक शुरूआती काल में बहुत छोटे-छोटे मकानों में चला करता था। न प्रयोगशाला था और नहीं कृषि प्रक्षेत्र। ऐसे यहां के पदस्थापित शिक्षक अनुसंधान भी नहीं कर पाते थे। नियम के तहत फैक्ल्टी डेवलॉपमेंट प्रोग्राम के तहत शिक्षकों का चयन विश्वविद्यालय स्तर पर एक ही एक ही योग्यता सूची बनाकर कर किया जाता है।