25 वर्ष में बिहार का 39.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ से हुआ प्रभावित

Update: 2023-04-26 07:03 GMT

पटना न्यूज़: बिहार न्यूज़ डेस्क सूबे के आधे से अधिक क्षेत्र के लोगों को हर वर्ष बाढ़ का दंश प्रतिवर्ष झेलना पड़ता है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन विभाग ने इसरो व एनआरएससी (राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र) से 25 वर्षों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का न सिर्फ मानचित्र तैयार किया है बल्कि इसका अध्ययन भी करवाया है. इसमें पता चला है कि वर्ष 1998 से 2022 तक बिहार में 39.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित हुआ है. देश में बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रफल के अनुसार यह सर्वाधिक है. हालांकि बिहार के जलसंसाधन विभाग के अनुसार बिहार में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 68.80 लाख हेक्टेयर है. यह बिहार का भौगोलिक क्षेत्र 94 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल का 73 फीसदी है.

इस वर्ष मार्च में इसरो व एनआरएससी ने बिहार समेत अन्य राज्यों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का उपग्रह आधारित मानचित्र जारी किया है. सरकार को इस मानचित्र का उपयोग कर बाढ़ के समय राहत व बचाव कार्य, स्वास्थ्य केंद्रो के निर्माण और अन्य योजनाएं बनाने में सहायता मिलेगी. इतना ही नहीं बाढ़ से प्रभावित मैदानी भागों में उसी के अनुरूप फसलें भी लगाई जा सकती हैं. 21 जिलों में बाढ़ से प्रभावित होने वाले इलाके का क्षेत्रफल 1 लाख हेक्टेयर से अधिक है. 6 जिलों में 50 हजार से 1 लाख हेक्टेयर के बीच, 7 जिले में 25 हजार से 50 हजार हेक्टेयर के बीच और 4 जिले में 10 हजार से 25 हजार हेक्टेयर के बीच है. 22 वर्षों (1998-2019) तक के उपलब्ध उपग्रह डेटासेट का उपयोग करते हुए प्रदेश में बाढ़ के खतरे का मानचित्र को तैयार किया गया है. बहुत कम से लेकर बहुत अधिक खतरे वाले क्षेत्र को पांच वर्गों में विभाजित किया गया है.

बिहार के कुल भौगोलिक क्षेत्र करीब 94.16 लाख हेक्टेयर है. इसका 37.24 प्रतिशत यानी 35.06 लाख हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित हुई है. इसमें करीब 1.21 लाख हेक्टेयर भूमि है जो बहुत अधिक बाढ़ प्रभावित श्रेणी में, 1.71 लाख हेक्टेयर अधिक श्रेणी में, 3.99 लाख हेक्टेयर मध्यम बाढ़ जोखिम श्रेणी में, 9.22 लाख हेक्टेयर भूमि कम बाढ़ के खतरे वाली है. वहीं 21.11 लाख हेक्टेयर भूमि बहुत कम बाढ़ के श्रेणी में आती है. पटना भी बाढ़ से प्रभावित होने में क्षेत्रफल के अनुसार छठा जिला है. वहीं पूरे प्रदेश में सबसे अधिक बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में पूर्वी चंपारण है. इसके बाद मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, कटिहार, पटना सहित अन्य जिले हैं. यह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को 1998 से 2022 तक के अध्ययन के आधार पर तय किया गया है. इन वर्षों के बीच बिहार में होने वाली बाढ़ की प्रमुख घटनाओं को बताया गया है.

राज्य में 40 जगहों से प्रवेश करता है पानी

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा ऊपरी तटवर्ती इलाकों में देश के भीतर लगभग सभी सहायक नदियों में हाइड्रोलॉजिकल ऑब्जर्वेशन (एचओ) स्टेशन के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है. बिहार में इन स्टेशनों की संख्या 40 है. इन सभी स्टेशनों से पानी बिहार में प्रवेश करता है. बाढ़ के मौसम में (यानी 1 जून से 31 अक्टूबर तक) प्रति घंटा सीडब्ल्यूसी एचओ स्टेशनों से जल स्तर का अवलोकन किया जाता है और इसी के आधार पर बाढ़ के खतरे का अनुमान लगाया जाता है.

बाढ़ के आंकड़े:

वर्ष बाढ़ प्रभावित जिला/ क्षेत्र की संख्या:

2022 33

2021 35

2020 39

2019 34

2018 38

(मानचित्र के अनुसार बिहार को 40 हाइड्रोलॉजिकल ऑब्जर्वेशन स्टेशन में बांटा गया है)

आपदा प्रबंधन को इस डेटा व मानचित्र के माध्यम से किसी विशेष क्षेत्र में बाढ़ के जोखिम का आकलन करने में मदद मिलेगी. बाढ़ प्रबंधन के साथ आपात स्थिति में राहत एवं बचाव कार्य में भी यह मददगार साबित होगा.

-डॉ. अनंत कुमार, बीसीएसटी के परियोजना निदेशक

सबसे कम प्रभावित क्षेत्र

बांका 11801

नवादा 20790

भभुआ 21245

जमुई 24911

शिवहर 25657

देश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का करीब 17.2 बिहार में है. उत्तर बिहार में करीब 76 प्रतिशत आबादी बाढ़ की तबाही झेलती है. यह अध्ययन राज्य में बढ़ते शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के स्पष्ट प्रभावों और बाढ़ को समझने व उसके नुकसान को कम करने में मददगार होगा.

जिलावार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र

जिला क्षेत्रफल (हेक्टेयर)

पूर्वी चंपारण 251928

मधुबनी 233550

दरभंगा 211066

मुजफ्फरपुर 206533

कटिहार 171660

पटना 170333

छपरा 160072

सीतामढ़ी 154439

समस्तीपुर 151926

अररिया 149427

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