नेशनल हाईवे 36 के नाम पर 6,000 पेड़ काटे जाने की योजना का युवा कर रहे विरोध

असम में डबोक-दिफू को जोड़ने वाले फोर लेन 36 नेशनल हाईवे एक्सटेंशन के नाम पर डोबोका रिजर्व फॉरेस्ट में 6000 से ज्यादा पेड़ काटने की सरकार की योजना के खिलाफ पिछले कई दिनों से विरोध का सिलसिला जारी है.

Update: 2021-10-28 14:33 GMT

असम में डबोक-दिफू को जोड़ने वाले फोर लेन 36 नेशनल हाईवे एक्सटेंशन के नाम पर डोबोका रिजर्व फॉरेस्ट में 6000 से ज्यादा पेड़ काटने की सरकार की योजना के खिलाफ पिछले कई दिनों से विरोध का सिलसिला जारी है. डोबोका में राष्ट्रीय राजमार्ग 36 को चार लेन राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में विस्तारित किया जा रहा है. सरकार ने निर्माण के लिए लगभग 6 हजार पुराने साल के पेड़ों को काटने की योजना बनाई है. पिछले एक सप्ताह से सैकड़ों लोग और कई संगठन डोबोका में वनों और जंगली हाथियों के घरों को खत्म करने की चिंता जाहिर करते हुए प्रस्तावित योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

बुधवार को ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) की होजई जिला इकाई ने डोबोका रिजर्व फॉरेस्ट में पेड़ों की कटाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. 200 से अधिक AASU कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय राजमार्ग 36 के पास साल वन के विरोध में ह्यूमन चेन बनाई. प्रदर्शनकारियों ने बैनर और पोस्टर के साथ 'जंगलों की रक्षा करें' और 'पेड़ काटना बंद करो' के नारे लगाते हुए असम सरकार से इस फैसले पर फिर से विचार करने को कहा.
ASU सचिव सद्दाम हुसैन तालुकदार और केंद्रीय समिति के सदस्य पंकज दास के साथ आसू होजई जिलाध्यक्ष देवजीत डेका और छात्र संघ के अन्य सदस्यों ने जंगल के पेड़ों की कटाई के फैसले पर नाराजगी जाहिर की.
आसू की टीम ने कहा, 'राजमार्ग का विस्तारक करने के सरकार के कदम का हम स्वागत करते हैं लेकिन चार लेन के राष्ट्रीय राजमार्ग को अपग्रेड और विस्तार के नाम पर, सरकार ने ऐतिहासिक डबका आरक्षित वन के लगभग 7,000 कीमती साल के पेड़ों को काटने की योजना बनाई है, जिसमें विभिन्न अन्य प्रजातियों के पेड़ भी शामिल हैं. यह फैसला हमें कतई मंजूर नहीं है. हम इसकी निंदा करते हैं और ऐसा नहीं होने देंगे.'
करीब एक घंटे तक चले प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने वन विभाग से अपने फैसले की जल्द से जल्द समीक्षा करने की मांग की है. आसू की टीम ने संभागीय वनाधिकारी गुणदीप दास के माध्यम से मुख्य वन संरक्षक को ज्ञापन भी सौंपा.
उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा और वन मंत्री परिमल शुक्लाबैद्य के हस्तक्षेप की मांग करते हुए अनुरोध किया कि प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना को एक किलोमीटर दूर रखने से जंगल भी बचेगा और निर्माण भी आगे बढ़ सकता है.
छात्रसंघ ने सरकार द्वारा मामले में उचित कार्रवाई करने में विफल रहने पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. अन्य क्षेत्रीय दलों और संगठनों ने पिछले एक सप्ताह से क्षेत्रीय लोगों के साथ विरोध प्रदर्शन जारी रखा है.ऑल असम मुस्लिम स्टूडेंट्स यूनियन ने मंगलवार को रिजर्व फॉरेस्ट में सबसे पुराने साल के पेड़ों की कटाई का विरोध किया. 
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