अखिल गोगोई की लोकसभा टिकट की मांग के बाद असम में 'इंडिया' गुट में तनाव

Update: 2023-08-27 09:39 GMT
 
गुवाहाटी (आईएएनएस)। असम में 12 विपक्षी दलों के गुट के साथ विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन के लिए सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। शिवसागर विधायक और रायजोर डोल के प्रमुख अखिल गोगोई के अपनी पार्टी के लिए लोकसभा सीट की खुली मांग के बाद गठबंधन में तनाव बढ़ना शुरू हो गया है।
गोगोई, जिन्हें पहले सीएए विरोधी प्रदर्शन में उनकी कथित भूमिका के लिए जेल में डाल दिया गया था और उन पर यूएपीए लगाया गया था, ने जेल से पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा और शिवसागर सीट जीती। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और अब उनके मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के प्रबल आलोचक अखिल गोगोई एक दशक पहले तब सुर्खियों में आए थे जब वह एक आरटीआई कार्यकर्ता थे, उन्होंने राज्य में 2021 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रायजोर डोल नाम की एक पार्टी बनाई थी, हालांकि गोगोई को छोड़कर पार्टी के सभी उम्मीदवार चुनाव हार गये।
विपक्षी गुट 'इंडिया' के गठन से बहुत पहले, असम में कांग्रेस पार्टी कम से कम 12 विपक्षी दलों को एक ही छतरी के नीचे लाने में सफल रही थी। संयुक्त विपक्षी मंच में वाम दल, शिवसागर विधायक अखिल गोगोई के रायजोर डोल, पूर्व ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) नेता लुरिनज्योति गोगोई की असम जातीय परिषद (एजेपी) और अन्य शामिल थे। लेकिन संयुक्त मंच में असम की राजनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी - ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) का अभाव है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) को भी विपक्षी मंच में जगह नहीं दी गई।
इंडिया गठबंधन की घोषणा के बाद स्थिति काफी हद तक बदल गई है और टीएमसी और आप दोनों अब विपक्षी गठबंधन के घटक हैं। लेकिन, बदरुद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ को अभी भी गठबंधन से बाहर रखा गया है।
इस बीच, अखिल गोगोई ने कहा, ''हमारी पार्टी ऊपरी असम क्षेत्र में अच्छा जमीनी समर्थन रखती है। हम मांग करते हैं कि जोरहाट लोकसभा सीट रायजोर डोल को दी जाए। मैं वहां से चुनाव लड़ने का इच्छुक हूं।
उनके बयान के बाद विपक्षी गठबंधन में असहज स्थिति बनी हुई है और कई कांग्रेस नेता खुलेआम गोगोई के कदम की आलोचना कर रहे हैं।
असम कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने रविवार को आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “चाहे वह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी हों या दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, प्रत्येक शीर्ष नेता भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए अपनी सीट हिस्सेदारी का त्याग करने के लिए तैयार हैं। यही बात असम में भी लागू है।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि सीट बंटवारे पर बातचीत अभी शुरू नहीं हुई है और मौजूदा स्थिति में किसी के लिए लोकसभा टिकट की मांग करना अच्छा नहीं है।
असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने आईएएनएस से कहा, "हम एक साथ बैठेंगे और भाजपा से मुकाबला करने के लिए सर्वोत्तम संभव संयोजन पर चर्चा करेंगे।"
इस बीच असम कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कमलाख्या दे पुरकायस्थ ने रविवार को अखिल गोगोई को लेकर कड़ी टिप्पणी की।
पुरकायस्थ ने आईएएनएस से कहा, “अखिल गोगोई की पार्टी मूल 'इंडिया' गठबंधन में शामिल नहीं थी। यहां एक स्थानीय पार्टी के तौर पर हमने उन्हें गठबंधन में रखा है। इसलिए उन्हें इस तरह सीधे तौर पर उम्मीदवारी नहीं मांगनी चाहिए थी। किस जगह से कौन उम्मीदवार होगा, यह तय करना हाईकमान की जिम्मेदारी है। उनकी टिप्पणियों को वापस लिया जाना चाहिए।''
हालांकि, सबसे पुरानी पार्टी के एक अन्य कार्यकारी अध्यक्ष जाकिर हुसैन सिकदर ने कहा, "कोई भी उम्मीदवार होने का दावा कर सकता है। ऐसा कहना स्वाभाविक है। हालांकि, अखिल ने यह नहीं कहा कि अगर उन्‍हें जोरहाट सीट से चुनाव नहीं लड़ने दिया गया तो वह विपक्षी गठबंधन छोड़ देंगे। इसलिए, मुझे लगता है कि अभी उनकी आलोचना करना सही नहीं है।''
दूसरी ओर, एजेपी के अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई ने कहा, "गठबंधन के नेताओं के बीच प्रारंभिक बातचीत हुई है कि किस सीट पर कौन उम्मीदवार होगा। बाकी बाद में देखा जाएगा।"
एआईयूडीएफ, जो असम के राजनीतिक स्पेक्ट्रम में एक मजबूत ताकत है, उसके पार्टी नेताओं ने पहले ही दावा किया है कि उन्हें गठबंधन से बाहर रखने से भाजपा के खिलाफ लड़ाई को नुकसान होगा। इस समय, विपक्षी गुट में ताजा तनाव राज्य में भगवा पार्टी की उग्र चुनाव मशीनरी के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर सकता है।
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