मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा ने कहा- हिंदू-मुसलमानों के बीच का संबंध अभी भी जस की तस
देश में हिन्दू मुस्लिम की जंग सदियों से चली आ रही है
देश में हिन्दू मुस्लिम की जंग सदियों से चली आ रही है। देश हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है लेकिन धर्म का जो मुद्दा है वो सालों से खत्म ना होने वाला मुद्दा बन गया है। हाल ही में पूर्वोत्तर राज्य असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (CM Himanta Biswa Sarma) ने कहा है कि राज्य में राजनीतिक और सामाजिक परिवेश में बदलाव के बावजूद, असमिया हिंदू समाज और मुस्लिम समाज के बीच एकता और संबंध अभी भी वही है।
बता दें कि मुख्यमंत्री ने यह बात गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र (Srimanta Sankaradeva Kalakshetra) में असमिया सैयद वेलफेयर ट्रस्ट के प्रथम वर्षगांठ कार्यक्रम में एक सभा को संबोधित करते हुए कही है। उन्होंने आगे कहा कि मुस्लिम समुदाय (Muslim community) ने असमिया समाज के सामाजिक ताने-बाने के निर्माण में समान रूप से योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि "असम में मुसलमान हमेशा खुद को मिया के रूप में नहीं बल्कि असमिया के रूप में चित्रित करते रहे हैं। यह सरकार असमिया मुसलमानों के लिए समान है क्योंकि यह हिंदुओं के लिए है।"
उन्होंने कहा, "उनका (मुसलमानों) असमिया समाज (Assamese society) के सामाजिक ताने-बाने के निर्माण में विशेष योगदान है और हमें इसे स्वीकार करना होगा।" आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि समाज तभी व्यवस्थित रहेगा जब असम के मुसलमान 'अजान-पीर साहब' को अपना आदर्श मानेंगे।
सरमा (CM Himanta Biswa) ने यह भी दावा किया कि सूफी संस्कृति और असमिया संस्कृति में कोई अंतर नहीं है। "हमें दो रास्ते दिखाए गए एक महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव ने और दूसरा सूफी संत अजान-पीर ने। इसके अलावा, जब भी, मैं अजान-पीर के जिकिर और जरी को सुनता हूं, मुझे नहीं लगता कि इन दोनों संस्कृतियों में कोई अंतर है "।