असम : खरीफ फसलों में धान की खेती का हिस्सेदारी सबसे अधिक

खेती का हिस्सेदारी सबसे अधिक

Update: 2022-08-18 11:26 GMT

मानसून और खरीफ फसल एक दूसरे के पूरक हैं। देश के बड़े भूभाग में खरीफ फसलों की खेती मानसून के आधार पर ही की जाती है। जिसमें खरीफ फसलों में धान की खेती का हिस्सेदारी सबसे अधिक है। लेकिन, बीते कुछ वर्षों से मानसून की उलटबांसियों से खरीफ सीजन पर विपरित असर पड़ा है, जिसमें सबसे बड़ा उदाहरण चालू मानसून सीजन हैं। इस मानसून सीजन में देश के कई हिस्सों में सामान्य से बेहद कम बारिश हुई है।

जिसे देखते हुए देश में इस बार धान का रकबा 13 फीसदी कम होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।वहीं बीते मानसून में कई राज्यों को बाढ़ का सामना करना पड़ था। मानसून के इन संकटमयी प्रभाव से निपटने के लिए असम सरकार ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। जिसके तहत असम सरकार खरीफ सीजन में कैलेंडर में बदलाव करने की तैयारी कर रही है।

असम सरकार की इस संबंध पर तैयारियों पर डाउन टू अर्थ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। असल मेंमानसून की वजह से बाढ़ और कमी कम बारिश की वजह से असम की कृषि व्यवस्था पर असर पड़ा है। इन हालातों को देखते हुए असम के कृषि विभाग ने बीते दिनों असम कृषि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर एक प्रस्ताव तैयार किया था। जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सैंट्रल रिसर्च इस्टीट्यूट ऑफ ड्राईलैंड एग्रीकल्चर (CRIDA) से खरीफ सीजन में बदलाव करने की मांग की गई है। जो इस तरह की मांग करने वाला देश का पहला राज्य है। वहीं इस प्रस्ताव के बाद असम सरकार राज्य में वर्षा पैटर्न और तापमान में बदलाव की गणना और उसका विश्लेषण करने के लिए एक समिति भी गठित कर दी है। संभवत: माना जा रहा है कि कमेटी की रिपोर्ट इस संबंध में आखिरी फैसला का आधार बन सकती है।
असम की मुख्य फसल धान ही है। कुल मिलाकर असम के लोगों का मुख्य वजह चावल है। इस वजह से राज्य के कुल 80 फीसदी भाग में धान की खेती की जाती है। धान की खेती का आलम यह है कि एक साल में तीन सीजन के आधार पर धान की खेती की जाती है। जिसमें मानसून सीजन के दौरान धान की खेती को साली कहा जाता है। प्री मानसून को आहू और रबी सीजन में उगाए जाने वाले धान को बोरो कहा जाता है। लेकिन, तीनों में से साली धान की खेती राज्य के अधिकांश जिलों में होती है। तो वहीं अन्य दो सीजन के धान कुछ चुनिंदा जिलों में ही उगाए जाते हैं। वहीं एक आंकड़े के अनुसार राज्य में उत्पादित होने वाले कुल खाद्यान्न में चावल की हिस्सेदारी 96 फीसदी है।


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