असम के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता हिमंता बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी पर तंज कसा

नेता हिमंता बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी पर तंज कसा

Update: 2022-08-26 14:21 GMT

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद असम के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता हिमंता बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा है कि 7 साल पहले जब कांग्रेस छोड़ी थी, तभी कहा था कि राहुल गांधी बीजेपी के लिए वरदान हैं। सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि गुलाम नबी आजाद का त्यागपत्र और 2015 में मेरे द्वारा लिखे गए पत्र को अगर आप पढ़ेंगे तो आपको काफी समानताएं मिलेंगी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस में सभी जानते हैं कि राहुल गांधी अपरिपक्व हैं। सोनिया गांधी पार्टी की देखभाल नहीं कर रही हैं। वह केवल अपने बेटे को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं। ये नाकाम कोशिश है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, इसी का नतीजा है कि पार्टी के प्रति वफादार लोग इसे छोड़ रहे हैं। मैंने भविष्यवाणी की थी कि कांग्रेस के लिए एक समय आएगा जब केवल गांधीवादी हिस्से में रहेंगे और यह हो रहा है। राहुल गांधी वास्तव में भाजपा के लिए वरदान हैं।
आपको बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने करीब पांच दशक तक कांग्रेस में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम करने के बाद आज पार्टी को अलविदा कहते हुए कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। आजाद ने अपने साढ़े चार पेज के लंबे पत्र में गांधी परिवार के युवा नेता राहुल गांधी की तीखी आलोचना की लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक गांधी परिवार से रहे अपने करीबी संबंधों का उल्लेख करते हुए उनकी नेतृत्व क्षमता की सरहाना की है। उन्होंने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को विस्तार से पत्र लिखकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से लेकर सभी पदों से इस्तीफा दिया है। गांधी परिवार के साथ अपने नजदीकी संबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पार्टी के पूर्व नेता संजय गांधी और आपके पति तथा देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ उनके बहुत करीबी संबंध रहे हैं।
उन्होंने सोनिया गांधी के नेतृत्व की भी सरहाना की और कहा कि अपने काम के करण वह उनके भी विश्वासपात्र रहे। पत्र में राहुल गांधी पर तीखा हमला करते हुए आजाद ने कहा , आपके नेतृत्व में पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी लेकिन दुर्भाग्य से जब से पार्टी में गांधी की एंट्री हुई और खासतौर पर 2013 के बाद जब आपने उनको पार्टी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया, उन्होंने पार्टी में संवाद के सिलसिले की परंपरा का खाका ही ध्वस्त कर दिया। उन्होंने पार्टी पर कब्जा करते ही सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को किनारा करना शुरु कर दिया और अनुभवहीन नेता उनकी नजदीकी का फायदा उठाकर पार्टी के सभी मामले देखने लगे।

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